Sunday, May 10, 2015

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ★★★★हार्दिक नमस्ते★★★★ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ★★सभी के लिए प्रभु-प्रसाद★★ ***********वेद...

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★★★★हार्दिक नमस्ते★★★★
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★★सभी के लिए प्रभु-प्रसाद★★
***********वेद अमृत***********
बरस रहा-बरस रहा दरबार ,
अमृत वेदों का !
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१.वेद ज्ञान कि सच्ची पुस्तक !
सब के दिलो मे–देती दस्तक !
यहां है जीवन का आधार –अमृत वेदों का !
बरस रहा ………..
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२.वेद के मन्त्र- हीरे मोती !
जिससे मिल जाए- जीवन ज्योति !
भरे सुखों के भण्डार – अमृत वेदों का ! बरस रहा……..
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३.वेदों में कोई- कमी नहीं है !
बिन इसके कोई धनी नहीं है !
यही खोले दशवां द्वार–अमृत वेदों का ! बरस रहा…………
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४.वेद पढ़ो और, वेद पढाओ !
घर-२ वेद की, ज्योति जलाओ !
जिसकी पूजा करे संसार–अमृत वेदों का !
बरस रहा बरस रहा दरबार ….
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५.खुद पियो औरों को पिलाओ !
ज्ञान की गंगा में, गोता लगाओ !
करदे जीवन नैया पार –अमृत वेदों का ! बरस रहा…….
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६.उत्तर दक्षिण, पूर्व पश्चिम !
लहरा दो तुम, वेद का परचम !
ऐसा “रत्न” करो प्रचार –अमृत वेदों का !
बरस रहा ………..
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लेखक, गायक, संगीतकार :-
रत्न लाल मांडला , संगरूर (पंजाब)
Mobile: 09144-01573
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★प्रेषक-आर्य ओमप्रकाश सिंह राघव★
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★वेद ज्ञान ओर बढ़ें-सत्यार्थप्रकाश पढ़ें★
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★मुर्ति-पूजा मनुष्य-बुद्धि की हत्या है★
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★मुर्ति-पुजा संगठन के लिए विष है★
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