Friday, June 26, 2015

C T M वैदिक धर्म की विशेषता— वैदिक धर्म का उपदेश सृष्टि की रचना करने वाले ईश्वर ने स्वयं दिया...

C T M वैदिक धर्म की विशेषता—
वैदिक धर्म का उपदेश सृष्टि की रचना करने वाले ईश्वर ने स्वयं दिया है ।वैदिक धर्म का उपदेश किसी मनुष्य द्वारा नहीं दिया गया है ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(३)—
‪#‎कर्मफल‬ का अटल सिद्धान्त है ।
‪#‎जो‬ करेगा फल उसको ही भोगना पड़ेगा ।
‪#‎जैसा‬ करेगा वैसा फल ही भोगना पड़ेगा ।
‪#‎जितना‬ करेगा उतना ही भोगना पड़ेगा ।
‪#‎भोग‬ ,प्रसाद आदि चढ़ा कर, विश्वास आदि के द्वारा या अन्य किसी भी कारण से कर्मफल के भोग से बचा नहीं जा सकता है ।
#कर्मफल के बुरे भोग से बचाने की बात कहनेवाले भोली भाली जनता को ठगते हैं ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(४)—
पुनर्जन्म का अटल सिद्धांत है ।
आत्मा जब तक मुक्ति नहीं प्राप्त कर लेता है तब तक अपनी वासनाओं , संस्कारों , कर्मों के आधार पर विभिन्न योनियों में जन्म लेता रहेगा ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(५)
ईश्वर न्यायकारी है ।
किसी के भोग आदि चढ़ाने से, विश्वास करने से, उसके समूह में भाग लेने मात्र से, किसी की सिफारिश से या अन्य किसी भी कारण से ईश्वर के न्याय से बचा नहीं जा सकता है

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता (६)
वेद का उपदेश मानव मात्र के लिए है ।किसी स्थान विशेष के लोगों के लिए, किसी वर्ग विशेष के लिए ही नहीं है ।स्त्री-पुरुष सभी वेद पढ़ सकते हैं ।उसके अनुसार अपना जीवन ढाल सकते हैं ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता (७)
तीन अनादि सत्ता हैं —
पररमात्मा ,आत्मा और प्रकृति ।
इनका आदि भी नहीं है और अन्त भी नहीं है ।इन तीनों के गुण , कर्म और स्वभाव भी भिन्न हैं ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता (८)
प्रत्येक मनुष्य पुरुष और स्त्री दोनों को बिना किसी भेदभाव के मोक्ष पद का अधिकारी माना गया है।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(९)
विश्व में कहीं भी, जो कुछ भी अच्छे कार्य , सदाचरण , सद्विद्या, सद्गुण पाए जाते हैं उन सब का वर्णन वेद में है। अतः शुभकर्म , सदाचरण, सद्विद्या, सद्गुण आदि सभी धर्मों का आदिमूल वेद ही है।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(१०)
मानव जीवन के सर्वाङ्गीण विकास के लिए वैदिक धर्म में ही उपदेश किया गया है ।
मानव जीवन के सुख साधन एवम् सफलता के लिए वैदिक धर्म एक व्यवस्थित जीवन पद्धति , व्यवस्थित रूपरेखा प्रस्तुत करता है ।
वैदिक धर्म एक पूर्ण धर्म है ।

C T M वैदिक धर्म की विशेषता(११)
वैदिक धर्म बुद्धिवादी धर्म है ।यह बुद्धि संगत है ।वैदिक धर्म के सारे तत्त्व बुद्धि की कसौटी पर खरे उतरते हैं ।वैदिक धर्म के सारे उपदेश तर्क संगत हैं ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(१२)
वैदिक धर्म में ईश्वर और उपासक का सीधा सम्बन्ध है ।किसी भी बिचौलिये की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।ईश्वर से कोई हमारी सिफारिश कर दे ,इसकी भी आवश्यकता नहीं पड़ती है ।कोई सिफारिश करना चाहे भी तो उसकी चलती नहीं है ।

C T M वैदिक धर्म की विशेषता(१३)
लौकिक जीवन और पारलौकिक जीवन में समन्वय है ।जिसका लौकिक जीवन सफल होगा उसी का परलोक भी सिद्ध हो सकेगा ।जिसका लौकिक जीवन असफल होगा उसका परलोक भी सिद्ध नहीं हो सकेगा ।

C T M वैदिक धर्म की विशेषता(१४)
वैदिक धर्म में मानव धर्म के चार लक्ष्य माने गए हैं—(१)धर्म
(२)अर्थ
(३)काम
(४)मोक्ष ।

C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(१५)
ईश्वर सर्वज्ञ है ।
वह स्वयं ही सब कुछ जानता है ।
उसे किसी द्वारा कुछ बतलाने की आवश्यकता नहीं ।
C T M Mdy वैदिक धर्म की विशेषता(१६)
ईश्वर ब्रह्माण्ड के कण कण में व्याप्त है ।ऐसा कोई स्थान नहीं जहाँ ईश्वर न हो ।ईश्वर किसी स्थान विशेष में नहीं रहता है ।

C T M वैदिक धर्म की विशेषता(१७)
ईश्वर ने मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही वैदिक ज्ञान दिया ।अत: आदि मानव को भी मोक्ष का उपदेश प्राप्त होने के कारण ईश्वर ने किसी के साथ पक्षपात नहीं किया है ।सब पर ईश्वर की एक समान कृपा है ।

C T M वैदिक धर्म की विशेषता(१८)
ईश्वर स्वभाव से आनन्दमय सत्ता है ।
ईश्वर किसी पर रुष्ट या तुष्ट नहीं होता है ।वह किसी को दुख या सुख नहीं देता है ।सभी अपने अपने कर्मों के अनुसार अच्छे या बुरे फल भोगते हैं ।


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