वेद ईश्वरकृत है, अन्यकृत नहीं ||
वेद ईश्वरकृत है, अन्यकृत नहीं इसके प्रमाण निम्नलिखित है–
१× ईश्वर पवित्र, सर्वविद्यावित्, शु्ध्द गुणकर्मस्वभाव, न्यायकारी, दयालु आदि गुण वाला है, वैसा जिस पुस्तक में ईश्वर के गुण, कर्म, स्वभाव के अनुकूल कथन हो, वह ईश्वरकृत; अन्य नहीं |
२× जिसमें सृष्टिक्रम प्रमाण, आप्तों के और पवित्रात्मा के विरूध्द कथन न हो, वह ईश्वरोक्त |
३× ईश्वर का जैसा निभ्रम ज्ञान वैसा जिस पुस्तक में भ्रान्ति रहित ज्ञान हो, वह ईश्वरोक्त |
४× जैसा परमेश्वर है और जैसा सृष्टिक्रम रक्खा है, वैसा ही ईश्वर, सृष्टि, कार्य, कारण और जीव का प्रतिपादन जिसमें होवे, वह ईश्वरोक्त |
५× जो प्रत्यक्षादि प्रमाण-विषयों से अविरूध्द शुध्दात्मा के स्वभाव से विरूध्द न हो, वह परमेश्वरोक्त पुस्तक होता है |
इस प्रकार के केवल वेद हैं अन्य बाईबिल, कुराण आदि पुस्तके नहीं अत: इससे यह सिध्द होता है कि वेद ईश्वरकृत है, अन्यकृत नहीं |
आओ ईश्वरकृत वेदो की ओर पुन: लौटे।।
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