🌹ओ३म्🌹
मन्त्र
पवमानास इन्दवसतिरः पवित्रमाशवः ।इन्द्रः यामेभिराशत।।ऋ•
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भावार्थ
जो पुरूष ज्ञानयोग वा कर्मयोग द्वारा अपने आप को ईश्वर के ज्ञान का पात्र बनाते है ।उन्हें परमात्मा अपने अनन्त गुणों से प्राप्त होता है ।सच्चिदादि अनेक गुणों का लाभ करता है ।।
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भावना आर्या मथुरा
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