🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ओ३म् उपास्मै गायता नरः पवमानायेंदवे | अभि देवाँ इयक्षते ||~~~सामवेद~उत्तरार्चिक~1~1~1~1~ ~~~~~~~~~मन्त्र का पद्य में भाव~~~~~~~~~~~~~~~~~~जैसे चाहे पिता पुत्र हित, उत्तम सुख सामान दिलाना| वैसे जगत् पिता सबके हित , चाहे मोक्षानंद दिलाना| आओ हम सब पावन पितु की, वेदाज्ञा को मिल अपनावें| विमल वेद से ओत प्रोत हो, अनंत सुख शांतानंद पावें||👏
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