Thursday, September 1, 2016

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ॐ अर्चत प्रार्चता नरः प्रिय मेधासो अर्चत| अर्चन्तु पुत्रका उत पुरमिद्...

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ॐ अर्चत प्रार्चता नरः प्रिय मेधासो अर्चत| अर्चन्तु पुत्रका उत पुरमिद् धृष्ण्वर्चत||~~~~~~~~सामवेद~पू0~4~2~3~3~~~~मन्त्र का पद्य में भाव~~~~~~~~~~~कृपा सिंधु, करुणामय सिंधु! करते बार बार उपदेश| अपने भक्त जनों पर तो, बरसाते अमृत भर विमलेश| आओ मेरे प्यारे पुत्रो!, पिता तुम्हारा तुम्हें बुलाता| यज्ञ कर्म करने वालों को, हर क्षण निज आनन्द दिलाता| आप्त काम और पूर्ण काम, मैं कामना पूरी करता हूँ| विमल अर्चना, यजन जो करते, बन प्रेमी खुशियाँ भरता हूँ||👏


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