🌷 🙏 नमस्ते जी 🙏 🌷
🌷 🌞 शुभ प्रभात 🌞 🌷
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🙏अथेश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासनामन्त्रा: (७)🙏
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औ३म् स नो बन्धुर्जजनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा ।
यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरन्त॥ ७ ॥
॥ यजु०अ०३२, म०१० ॥
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हे मनुष्यों वह परमात्मा अपने लोगों का भ्राता के समान सुखदायक सकल जगत् का उत्पादक, वह सब कार्यों का पूर्ण करने संपूर्ण लोकमात्र और नाम, स्थान, जन्मों को जानता है, और जिस सांसारिक सुख दु:ख से रहित नित्यानन्द युक्त मोक्षस्वरुप धारण करने हारे परमात्मा में मोक्ष को प्राप्त होके विद्वान् लोग स्वेच्छापूर्वक विचरते हैं, वही परमात्मा अपना गुरु, आचार्य, राजा और न्यायाधीश है, अपने लोग मिल के सदां उसकी भक्ति किया करें ।
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तू गुरू है, प्रजेश भी तू है, पाप-पुण्य फल दाता है ।
तू ही सखा, बन्धु मम तू ही, तुझसे ही नाता है ॥
भक्तों को इस भव-बन्धन से, तू ही मुक्त कराता है ।
तू ही अज, अद्वैत, महाप्रभु , सर्वकाल का ज्ञाता है ॥
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आर्य ओमप्रकाश सिंह राघव
ग्राम-खेड़ा (पिलखुवा) हापुड़ ।
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