Thursday, December 10, 2015

साधारण वैदिक ज्ञान- वैदिक प्रश्नोत्तरी प्र.1-  वेद किसे कहते हैं ? उत्तर-  ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक...

साधारण वैदिक ज्ञान- वैदिक प्रश्नोत्तरी

प्र.1-  वेद किसे कहते हैं ?
उत्तर-  ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।

प्र.2-  वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर-  ईश्वर ने दिया।

प्र.3-  ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर-  ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।

प्र.4-  ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए,भोग व अपवर्ग की प्राप्ति के लिये |

प्र.5-  वेद कितने हैं ?
उत्तर- चार–ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद

प्र.6-  वेदों के ब्राह्मण अर्थात व्याख्या ग्रन्थ कौन कौन से हैं ?
उत्तर– ऋग्वेद का ऐतरेय, यजुर्वेद का शतपथ,
सामवेद का तांड्य, अथर्ववेद का गोपथ|

प्र.7-  वेदों के चार उपवेद कौन कौन से हैं।
उत्तर- १. ऋग्वेद का आयुर्वेद ,२.यजुर्वेद का धनुर्वेद,३.सामवेद का गंधर्ववेद ,४.अथर्ववेद का अर्थवेद

प्र 8-  वेदों के छ:अंग कौन कौन से हैं ?
उत्तर - शिक्षा, कल्प, निरूक्त,व्याकरण
             छंद,  ज्योतिष|

प्र.9- किन किन ऋषियो को वेद ज्ञान दिया ?
उत्तर-  १. ऋग्वेद-अग्नि,   २.यजुर्वेद- वायु
      ३.सामवेद -आदित्य , ४.अथर्ववेद-अंगिरा

प्र.10-  वेदों का ज्ञान ईश्वर ने कैसे दिया ?
उत्तर–ऋषियों की  समाधि लगवा कर |

प्र.11-  वेदों में कौन कौन सा ज्ञान है ?
उत्तर- मूल रुप में सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान, ईश्वर जीव प्रकृति का ज्ञान |

प्र.12-  वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-   १. ऋग्वेद - ज्ञान  ,२. यजुर्वेद -कर्म
       ३.सामवेद- उपासना ,४.अथर्ववेद -विज्ञान

प्र.13-  वेदों में कुल मंत्र व वर्गीकरण कैसे है ?
ऋग्वेद में- मंडल 10 ,सूक्त 1028
  अनुवाक 85,  ऋचाएं 10522
यजुर्वेद में-अध्याय 40, मंत्र 1975, सामवेद में-आरचिक 06,अध्याय  06,ऋचाएं 1875  अथर्ववेद में- कांड-20 ,सूक्त-731,मंत्र -5977
वेदों में कुल मंत्र-20349
         
प्र.14-  वेद पढ़ने का अधिकार किस किस को ?                                                                  उत्तर-  स्त्री पुरुष सबको को वेद पढ़ने का अधिकार है।

प्र.15-  क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर-  बिलकुल भी नहीं।

प्र.16-  क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर-  नहीं।

प्र.17-  सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर-  ऋग्वेद।

प्र.18-  वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदों की उत्पत्ति सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा हुई अर्थात १अरब ९६ करोड़ ०८ लाख ५३ हजार वर्ष पूर्व चार ऋषियों के मन में वेद ज्ञान प्रकट क्या गया | करोडों वर्ष पूर्व राजा ईक्ष्वाकु के काल में वेद पुस्तक रुप में आए | आधुनिक कथित धर्म ग्रन्थ पुरान कुरान बाईबल आदि मात्र दो तीन हजार वर्ष पुराने हैं और उनमें बहुत कुछ वेदविरुद्ध व अवैज्ञानिक है |

प्र.19-  वेद-ज्ञान के उपांग या सहायक ग्रन्थों के नाम व उनके लेखक क्या हैं ?
उत्तर-
     १.  न्याय दर्शन  - गौतम मुनि।
     २. वैशेषिक दर्शन  - कणाद मुनि।
      ३.योगदर्शन  - पतंजलि मुनि।
       ४.मीमांसा दर्शन  - जैमिनी मुनि।
         ५. सांख्य दर्शन  - कपिल मुनि।
             ६.वेदांत दर्शन  - व्यास मुनि।

प्र.20-  वेदादि शास्त्रों के विषय क्या हैं ?
उत्तर-  आत्मा,  परमात्मा, प्रकृति,  जगत की उत्पत्ति प्रलय, मुक्ति पुनर्जन्म आदि सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक  ज्ञान-विज्ञान आदि।

प्र.21-  प्रामाणिक उपनिषदें कितनी है ?
उत्तर-  केवल ग्यारह।

प्र.22-  उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-  १.ईश २.केन ३.कठ ४.प्रश्न ५.मुंडक६.मांडू ७-ऐतरेय ८.तैत्तिरीय १०.छांदोग्य
        ११.वृहदारण्यक १२.श्वेताश्वतर ।

प्र.23-  उपनिषदों व दर्शनों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- वेदों से।

प्र.24- चार वर्ण।
उत्तर-गुण कर्म व स्वभाव के आधार पर -ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य, शूद्र चार भागों में समाज का वर्गीकरण किया जाता है | यह जन्म के आधार पर नहीं होता |

प्र.25- चार युग व मोक्ष काल कितने वर्षों का है
     १. सतयुग - 17,28000  वर्ष
       २. त्रेतायुग- 12,96000  वर्ष
         ३.द्वापरयुग- 8,64000  वर्ष
               ४.कलयुग- 4,32000  वर्ष
कलियुग के 5115 वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक। 4,26885 वर्षों को भोगना शेष है।
मोक्ष काल-31 नील 10 खरब 40 अरब वर्ष

प्रश्न.26  पंच महायज्ञ व स्वर्ग नरक क्या हैं ?
         १- ब्रह्मयज्ञ २. देवयज ३.पितृयज्ञ
       ४.बलिवैश्वदेवयज ५. अतिथियज्ञ
  स्वर्ग- जहाँ सुख है, नरक - जहाँ दुख है।

शंका समाधान-
कुछ लोगों का मत है कि ईश्वर निराकार तो है,परन्तु समय समय पर अवतार धारण कर साकार हो जाता है।जैसे भाप निराकार है लेकिन समय पर जमकर बादल या बर्फ बन जाती है।
अग्नि सर्वव्यापक है ,निराकार है परन्तु समय पर स्थूल रुप में प्रकट हो जाता है।जब संसार के भौतिक पदार्थ निराकार से साकार हो जाते हैं तो परमात्मा निराकार से साकार क्यों नहीं हो सकता?  उत्तर:-भाप और अग्नि का जो उदाहरण दिया गया है वह ठीक  नहीं है।जरा गहराई से सोचो।'भाप’ और ‘अग्नि’ एक पदार्थ नहीं हैं,किन्तु अनेक परमाणुओं के समुदाय हैं,जल के असंख्य छोटे-छोटे परमाणु भाप बन जाते हैं,वे ही परमाणु पुनः स्थूल होकर बादल,बर्फ और जल का रुप धारण कर लेते हैं।भाप यदि केवल एक ही परमाणु होती और एक रस होती तो वह कभी स्थूल नह़ी हो सकती थी।यही 'अग्नि’ के परमाणुओं की अवस्था है,वे अनेक होने के कारण वे परस्पर में मिलकर स्थूल हो जाते हैं,और अग्नि का प्रचण्ड़ रुप धारण कर लेते हैं।यह कहना कि अग्नि सर्वव्यापक और निराकार है भयंकर भूल है।'अग्नि’ पृथ्वी और जल से सूक्ष्म है इसलिए पृथ्वी और जल में तो व्यापक मानी जा सकती है,परन्तु आकाश और वायु से नहीं।हां,आकाश और वायु यह दोनों ही अग्नि में व्यापक हैं,वे सब पदार्थ रुप वाले हैं।संसार में जो भी रुप नजर आता है वह सब अग्नि की व्यापकता के कारण है।क्योंकि अग्नि का गुण ही रुप हैँ।अतएव सिद्ध हुआ भौतिक पदार्थ सूक्ष्म से स्थूल और स्थूल से सूक्ष्म इसलिए हो जाते हैं कि वे अनेक परमाणुओं से मिलकर बने हुए होते हैं।परमात्मा सर्वव्यापक,एक और एकरस है।अतः वह निराकार से साकार नहीं हो सकता।रहा यह प्रश्न कि ईश्वर समय समय पर अवतार धारण करता है।यह सिवाय कोरी कल्पना के और कुछ नहीं है।देखो! अवतार शब्द का अर्थ है-'उतरना’ अथवा जिसमें उतरें।उतरने और चढ़ने का व्यवहार एकदेशी अर्थात् एक स्थान म़े रहने वाले पदार्थ में हो सकता है ,'सर्वव्यापक’ में नहीं हो सकता।सर्वव्यापक का आना-जाना,चढ़ना-उतरना सर्वथा असम्भव है।जो सब जगह है,वह कहां से आयेगा और कहां जायेगा


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