Sunday, December 6, 2015

आज भी जादू-टोने और टोटके देखने को मिलते हैं। कहने के लिए तो 21वीं सदी है लेकिन हमारा समाज अभी भी...

आज भी जादू-टोने और टोटके देखने को मिलते हैं।

कहने के लिए तो 21वीं सदी है लेकिन हमारा समाज अभी भी वही सदियों से चली आ रही अबूझ मान्यताओं में जी रहा है। खासकर महिलाओं में असुरक्षा का बोझ कुछ ज्यादा है। वह आज भी ईष्र्या, जलन, द्वेष्ा की शिकार हैं। ऎसा नहीं है उनकी मानसिकता को बदला नहीं जा सकता था या उन्हें बदलने के लिए किसी डॉक्टर और दवा की जरूरत है। जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ बराबर अधिकारों की। घर में उनसे ढंग से बात करने और सुनने की। वह क्या कहती हैं और क्या करना चाहती हैं यह समझना जरूरी है। उनकी समस्या का समाधान घर पर हो जाता है तो शायद उनके मन में भ्रम जड़ें नहीं जमाएगा। हमारे समाज में आज भी जादू-टोने टोटके यह सब देखने को मिलते हैं। यह सब क्या और क्यों है? द्वेष्ा और जलन की भावना उनमें ज्यादा होती है जिन्हें घर पर इज्जत नहीं मिलती। वे प्यार और सहानुभूति चाहती हैं। जब यह सब उन्हें हासिल नहीं होता, वे टोने जैसी चीजों पर उतर आती हैं। नहीं समझ पाती कि उनके अंदर जो शक्ति है उसका किस तरह से इस्तेमाल करें।

ऎसी महिलाएं परिणाम की चिंता नहीं करती उन्हें तो यह भी समझ नहीं आता कि इससे दूसरे लोगों का बुरा होगा और कभी पकड़ी गईं तो दूसरों के सामने उनकी स्थिति क्या होगी। घर में समाज में उनकी प्रतिष्ठा क्या रह जाएगी।

जादूगर जादू का शो दिखाकर लोगों का मनोरंजन करता है। इससे लोगों को खुशी मिलती है लेकिन ठीक उल्टा होता है जब लोगों के पैर किसी चौराहे पर टोटके वाले सामान से टकरा जाते हैं। उनके मन में ऎसा डर बैठ जाता है जिससे वे बीमार हो जाते हैं। उस टोटके का असर क्या है यह तो पता नहीं लेकिन डर से ही लोग बीमार हो जाते हैं।

जिस महिला ने भीतर की शक्ति को पहचान लिया वह अपने धर्म व नारित्व के सम्मान के लिए जीती है रात के अंधेरों में भी कामयाबी हासिल कर सकती है वे रात को अभ्यास किया करती क्योकि डर उनके पास नही हो सकता ओर अंधविश्वास से भी बची रहती है। इससे उलट कमजोर स्त्री अंधेरे में टोटके करके अपनी पहचान बचाने की कोशिश में लगी रहती है। लेकिन अपनी कमियो पर ध्यान ना देकर दुसरो को ही दोष देने मे लगी रहती है अपनी पिछली कमियो को एक बार त्याग कर देखे और एक लम्बी सांस ले फिर सब के मिलकर अच्छी बाते करे ईश्वर का ध्यान करे तो जीवन मे अपने आप ही सही मार्ग पर चल पडेगा .एक बात महिला हो या पुरुष अंधविश्वास केवल वो ही मानते है जो कमजोर होते …
लोगो का टोटंको से बुरा वो लोग करते है इन्होने अपने पर विस्वास ना हो….
यदि टोटंको से कुछ हासिल किया जाता तो संसार का विनाश हो चुका होता ..
निवेदन .सब के मिलकर रहो ईश्वर का स्मरण करते रहो अपने आस पास साकरात्मक हवा बनाये रखे..
यदि तान्त्रिक मे शक्तियॉ होती तो मै सबसे बडा तान्त्रिक बनता लेकिन जो मजा आप सब के चरणो मे वो कही नही सभी को नमस्ते ॐ शान्ति …प्रवीण आर्य सरसावा


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