Sunday, December 6, 2015

२१ मार्गशीर्ष 6 दिसम्बर 2015 😶 “ पुकार सुन ! ” 🌞 🔥🔥 ओ३म् का ते...

२१ मार्गशीर्ष 6 दिसम्बर 2015

😶 “ पुकार सुन ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् का ते अस्त्यरड्'कृति:सुक्तै: कदा नूनं ते मघवन् दाशेम । 🔥🔥
🍃🍂 विश्वा मतीरा ततने त्वायाधा म इन्द्र शृणवो हवेमा ।। 🍂🍃

ऋक्० ७ । २९ । ३

ऋषि:- वसिष्ठ: ।। देवता-इन्द्र : ।। छन्द:- पड़िक ।।

शब्दार्थ- स्तुति के सुन्दर वचनों से तेरी क्या अलंकृति शोभा हो सकती है? हे ऐश्वर्यवाले! तेरे लिए हम कब सचमुच अपने-आपको दे देंगे? मैं अपनी सम्पूर्ण मतियाँ तेरी कामना से ही विस्तृत कर रहा हूँ, अब तो हे इन्द्र! मेरी इन पुकारों को सुन लो।

विनय:- अपने सूक्तों से, स्तोत्रों से और वेद-मन्त्रों की स्तुतियों से भी हम तेरी क्या अलंकृति कर सकते हैं? हम तेरी क्या शोभा बड़ा सकते हैं? हम तो, हे इन्द्र! उस समय की प्रतीक्षा में हैं जब हम अपने-आपको तुझे समर्पित कर देंगे, तुझे दे देंगे। कब हम, हे मघवन्! सचमुच तेरे लिए अपनी भेंट चढ़ा सकेंगे? वह समय कब आएगा? अपने-आपको तुझे दे देने के लिए हम आतुर हो रहे हैं। मेरे सम्पूर्ण ज्ञान, मेरे सम्पूर्ण विचार, मेरे सम्पूर्ण संकल्प तेरी ही कामना के लिए उठ रहे हैं। दिन-रात की मेरी सम्पूर्ण मतियाँ अपने पंख फैलाये तेरी ही ओर उड़ रही हैं। मेरे मन की सम्पूर्ण गतियाँ तेरे ही उद्देश्य से हो रही हैं। मैं अपने सम्पूर्ण अन्तःकरण से निरन्तर तुझे ही याद कर रहा हूँ। फिर भी हे इन्द्र! न जाने क्यों तू मेरी सब पुकारों को अनसुनी कर रहा हैं। मैं दर्शन पाने के लिए, तुझे आत्मसमर्पण कर देने के लिए पुकार रहा हूँ। न जाने कब से पुकार रहा हूँ।
हे इन्द्र!
अब तो तू मेरी इन पुकारों को सुन ले। हे ऐश्वर्यवाले! मघवन्! अब तो तू मेरी इन पुकारों को सुन ले, सफल कर दे।


🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂
ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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