भारत चालीसा या ।। गौरव-गान।।
आर्य कवि पंडित जगदीशचन्द्र ”प्रवासी“
है भू-मण्डल में भारत देश महान।
1- हिमालय
जहां खड़ा गिरिराज हिमालय मही मुकुट उत्तुंग उतान।
अपने उज्जवल मुख-मण्डल से चूम रहा है गगन वितान।।
जो है सकल जड़ी, बूटी, फल, फूल, लता औषध रस-खान।
दृश्य स्वर्गमय सुन्दर मनहर जहां विहग गण करते गान।।
आदि सृष्टि में प्रभुने प्रथम किया था जहां मनु निर्माण।
जो है आदिम आर्य जाति का वसुन्धरा में मूल स्थान।।
जिसके तुषारमय कन्दर में ऋषि, मुनि पाए वैदिक ज्ञान।
मान सरोवर झील जहां है झरनों की झरझर प्रिय-तान।।
शुभ्र हिमाचल से ही उतरी, सुरसरि गौरव गान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
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