Saturday, December 12, 2015

देश मे व्याप्त कुछ भ्रामक सत्य । . भ्रम : भारत में लोकतंत्र है ! सत्य : भारत में लोकतंत्र नही...

देश मे व्याप्त कुछ भ्रामक सत्य ।
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भ्रम : भारत में लोकतंत्र है !
सत्य : भारत में लोकतंत्र नही पोपातंत्र है । चुने हुए को किसी भी समय नौकरी से निकालने का अधिकार जनता के पास होना ही लोकतंत्र है । भारत के नागरिको के पास विधायक, सांसद, पीएम, सीएम आदि को 5 साल से पहले नौकरी से निकालने की कोई प्रक्रिया नही है अत: लोकतंत्र नही है ।
समाधान : भारत में राईट टू रिकाल, टी सी पी तथा जूरी प्रथा प्रक्रियाएं लागू की जानी चाहिए ।
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भ्रम : टीवी लोगो के मनोरंजन के लिए घर घर पहुंचाया गया !
सच : भारत में टीवी का कारोबार विदेशी कम्पनियों के हाथो में है । टीवी घर घर तक इसलिए पहुँचाया गया है ताकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां नागरिको की राजनेतिक सोच को नियंत्रित करके राजनेताओं को काबू में रख सके ।
समाधान : दूरदर्शन अध्यक्ष को प्रजा अधीन किया जाए
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भ्रम : FDI से तकनीक आती है और विकास होता है !
सच : कोई भी देश या कम्पनी महत्त्वपूर्ण तकनीक ट्रांसफर नही करती, दुसरे MNCs छोटी स्वदेशी इकाइयों को निगल जाती है अत: सम्बंधित क्षेत्र में तकनीक को ग्रहण करने वाली कम्पनियां मैदान में ही नही बचती । विदेशी कम्पनियां जो मुनाफा रूपये में कमाती है, उसके बदले देश में डॉलर चुकाने होते है, अत: डॉलर का क़र्ज़ बढ़ता जाता है और अर्थव्यवस्था डूब जाती है ।
समाधान : स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए वेल्थ टेक्स और ज्यूरी सिस्टम क़ानून को गेजेट में प्रकाशित किया जाए।
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भ्रम : भारत की अदालतें ईमानदार है !
सच : जज भी उतने ही भ्रष्ट है जितने कि भारत के अन्य विभागों के अधिकारी । किन्तु जजों के फैसलों की आलोचना और उनके भ्रष्ट आचरण पर टिपण्णी को अदालतों ने अवमानना घोषित कर दिया है । जब किसी संस्था के भ्रष्टाचार पर बात करना ही अपराध हो, तो वह संस्था स्वत: ही ईमानदार ही कही जाती है ।
समाधान : जजों को नौकरी से निकालने का अधिकार जनता के पास हो ।
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भ्रम : मिडिया बिकाऊ है !
सच : मिडिया बिकाऊ नही बल्कि पेड है । समाचार पत्र और न्यूज़ चेनल जो भी राजनेतिक खबरे दिखाते है, उसके लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, धनिको तथा राजनेतिक दलों द्वारा भुगतान किया जाता है, तथा सबसे अधिक भुगतान उन खबरों के लिए किया जाता है जिन्हें दिखाना बेहद जरुरी था किन्तु नही दिखाया गया ।
समाधान : सूचना मंत्री को प्रजा के अधीन किया जाए।
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भ्रम : गांधी ने अंग्रेजो को देश से खदेड़ा था !
सत्य : गांधी का आजादी की लड़ाई से कोई लेना देना नही था । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश राज कमजोर हो चुका था तथा आजाद हिन्द फ़ौज, नौ सेना विद्रोह और अहिंसा मूर्ती महात्मा उधम सिंह जी की पृकृति के क्रांतिकारियों का मुकाबला करने में पर्याप्त सक्षम नही रह गया था । अत: उन्होंने संघर्ष टालने के लिए भारत छोड़ना मुनासिब समझा ।
समाधान : नेताजी की गुप्त फाइलों को सार्वजनिक किया जाए, भारतीय मुद्रा पर शहीदों के चित्र छापे जाए तथा सुभाष बाबू को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जाए ।
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भ्रम : खनन सम्पदा की मालिक सरकार है !
सच : खनिज और प्राकृतिक संसाधन नागरिको की संपत्ति है तथा इनसे प्राप्त रोयल्टी पर नागरिको का हक़ है । सरकार को अपने खर्चे टेक्स से निकालने चाहिए, नागरिको की संपत्ति बेच कर नहीं ।
समाधान : खनन और प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त रोयल्टी सीधे सभी नागरिको के खाते में भेजी जानी चाहिए ।
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भ्रम : संघ एक हिन्दूवादी राष्ट्रवादी संगठन है !
सच : हिन्दू धर्म के मंदिरों का प्रशासन बेहद कमजोर है, साथ ही देश में बदहाल शिक्षा, चिकित्सा तथा गरीबी के कारण मिशनरीज बड़े पैमाने पर धर्मान्तर कर रही है । संघ ने विगत 68 वर्षो में इन समस्याओ को दूर करने के लिए कभी कोई कानूनी ड्राफ्ट नही दिए ।असल में संघ एक टाइम वेस्टर संघठन है, और कार्यकर्ताओं का टाइम लाठी सिखाने, पथ संचलन करने और नारे लगवाने में उसी तरह से टाइम वेस्ट करता है जिस तरह मोहन गांधी कार्यकर्ताओं का टाइम भजन गाने,अनशन और चरखे में खपा देता था ।
समाधान : किसी भी ड्राफ्ट विहीन और नारेबाज संगठन से जुड़ कर अपना टाइम बर्बाद न करे, बल्कि समस्याओं के समाधान के लिए अच्छे कानूनों का प्रचार करे ।
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भ्रम : भारत की सेना पर्याप्त रूप से मजबूत है !
सच : सेना वर्दी से नही हथियारों से होती है । जो देश खुद हथियार नही बनाता उसे युद्ध लड़ने और रोकने सम्बंधित फैसले उन देशो से पूछकर करने होते है जो कि हथियार आपूर्ति करते है । युद्ध के दौरान हथियारों के दाम* 10 गुना कर दिए जाते है और निर्भर देश को हथियार आयात करने के लिए भारी कीमत चुकानी होती है । हम 90% जटिल हथियारों का आयात करते है, मतलब हम सैन्य दृष्टी से आत्मनिर्भर नही है या यह भी कहा जा सकता है कि हमारी सेना परजीवी है ।
*हथियार खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना होता है न कि रूपये में ।
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भ्रम : भारत में शिक्षा व्यवस्था है, तथा निशुल्क भी है !
सच : भारत में डिग्री व्यवस्था नही बल्कि डिग्री व्यवस्था है । 8 वी क्लास तक बिना परीक्षा पास कर दिया जाता है जबकि स्नातक की डिग्री लेने के लिए परीक्षा के तीन दिन पहले वन वीक सीरिज पढ़ना काफी होता है । शिक्षा के लिए अभिभावकों को भारी फ़ीस चुकानी होती है, क्योंकि सरकारी स्कूल तबाह हो चुके है ।
समाधान : सरकारी स्कूलों को बेहतर करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया नागरिको के पास होनी चाहिए । राईट टू रिकाल शिक्षा अधिकारी होने से हमारे सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से भी बेहतर प्रदर्शन करने लगेंगे ।
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भ्रम : MNCs को सिर्फ व्यापार में रुचि है, धर्मान्तर में नही !
सच : MNCs मिशनरीज़ के तालमेल से कार्य करती है । 1857 में सैनिको के धर्मान्तर के लिए ही कारतूस पर गाय और सूअर की चर्बी को मिलाकर लगाया गया था । जिस भी देश में FDI के जरिये निवेश आता है, वहां द्वितीय चरण में बड़े पैमाने पर धर्मान्तर होते है ।
समाधान : हमें मेक इन इंडिया की जगह, मेड इन इण्डिया मेड बाय इन्डियन को तरजीह देने तथा हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाने के लिए SGPC की तर्ज पर हिन्दू देवालय प्रबंधन एक्ट क़ानून पास करने की जरुरत है ।
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भ्रम : भारत एक महान देश था, और मजबूत भी !
सच : भारत महान तो आज भी है, लेकिन मजबूत कभी नही रहा । पिछले दो हज़ार वर्षो में सिकंदर, कासिम, गौरी, गजनी, तुर्क, अफगान, मुग़ल, फ्रांसिस, डच, ब्रिटिश और चीन, मतलब जिसने भी हमला किया हमने मुहं की खायी और आक्रमणकारी सेनाओं ने भारत में घुसकर लूटपाट की और हमे गुलाम बनाया । देश को मजबूती हथियारों से मिलती है । हम तब भी आधुनिक हथियार नही बना रहे थे आज भी नही बना रहे है ।
समाधान : भारत को आधुनिक स्वदेशी हथियारों का उत्पादन कर हथियार बंद नागरिक समाज की रचना करनी चाहिए ।
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भ्रम : न्याय में देर है, अंधेर नही है !
सच : न्याय में देर ही अंधेर है ।
भारत में जज सिस्टम होने से अदालतों में वर्षो तक मुकदमे घिसटते रहते है, जबकि अमेरिका में ज्यूरी सिस्टम होने से मुकदमो का फैसला 10-15 दिनों के भीतर आ जाता है । जल्दी फैसले आने से अपराधी हतोत्साहित होते है ।
समाधान : मुकदमो की सुनवाई का अधिकार नागरिको की ज्यूरी को दिया जाना चाहिए ।
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भ्रम : भारत सरकार नोट छापने के लिए स्वर्ण प्रतिमान का पालन करती है !
सच : ऐसा कुछ नही है । केंद्र सरकार और रिजर्व बेंक अपनी मर्जी से जितने चाहे नोट छाप कर बाजार में चलाते रहते है । नोट छापने के लिए संतुलन के लिए कोई सोना वगेरह नही रखा जाता ।
समाधान : पीएम और वित्त मंत्री को प्रजा अधीन किया जाए।
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भ्रम : यदि भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो भारत विजयी रहेगा !
सच : पाकिस्तान की सेना 3 लाख है जबकि भारत की 12 लाख । किन्तु लड़ाई हथियारों से लड़ी जाती है, जबकि न भारत अपने हथियार खुद से बनाता है न पाकिस्तान । अत: युद्ध वह जीतेगा जिसे युद्ध के दौरान हथियारों की आपूर्ति बनी रहेगी ।
पाकिस्तान भारत के मुकाबले कमजोर देश है, अत: सिर्फ तब ही हमला करेगा जब अमेरिका/चीन उसे ऐसा करने को कहेंगे मतलब उसे हथियार देंगे। अत: हमें अमेरिका के भरोसे न रह कर अपने खुद के हथियारों का उत्पादन करना चाहिए वरना एक बड़ा और निर्णायक युद्ध हमें फिर से गुलाम बना देगा ।
समाधान : देश की सेना को मजबूत बनाने और आधुनिक हथियारों के उत्पादन के लिए हमें राईट टू रिकाल एवं ज्यूरी सिस्टम समेत ढ़ेर सारे अच्छे कानूनों की जरुरत है, ताकि आने वाले संकट से निपटा जा सके ।
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जागरूकता फैलाओ
और
राजनेतिक पार्टियो के चक्र से बचो
प्रेरणा स्रोत–
राजीव दिक्सित जी
स्वदेशी भारत ……….


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