Wednesday, December 9, 2015

भजन बीन नर है पशू के समान जैसो फिरत है ढोर हरायो खात फिरत है घास परायो जवने धनीको नाम लजायो मुढ...

भजन बीन नर है पशू के समान

जैसो फिरत है ढोर हरायो

खात फिरत है घास परायो

जवने धनीको नाम लजायो मुढ मुरख मस्ताना

भजन बीन जीवन पसु के समान

काल बचन दे बाहिर आयो

आ कर लोभ मे चित लगायो

धिक धिक हर को गुन नही गायो बे बचनी नादान

अझानी तो क्या फल पाव

तेरी मेरी मे जनम गुमावे

हीरला हाथ फिर कहासे आवे नीकल गये जब प्राण

प्रेमसें हरका गुन जो गावे

ग्यानी हो कर ध्यान लगावे

“"दास सतार”“ वोही फल पावे जो भजते भगवान

भजन बीना जीवन पशु के समान

राजु कारेथा


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