।।ओ३म्।।
🚩मनु वचन🚩
८-१२-२०१५
योsनधीत्य द्विजो वेदम्
अन्यत्र कुरुते श्रमम्।
स जीवन्नेव शुद्रत्वम्
आशु गच्छति सान्वयः।।
मनु.स्मृ.२-१६८
अर्थः- जो द्विज वेद का परित्याग करके अन्यत्र परिश्रम करता है वह जीते हुए ही वंश सहित शुद्रता को प्राप्त करता है।
नोट- इस श्लोक में महर्षि मनु वेद का महत्व बता रहे है साथ ही यह श्लोक उस सिद्धान्त का प्रमाण है जो कहता है वर्णव्यवस्था जन्मगत नही बल्कि कर्मानुसार है।
(मुकेशार्यः कानड़)
ओ३म्
from Tumblr http://ift.tt/1M3vQ3d
via IFTTT
No comments:
Post a Comment