*प्रश्न*: परमात्मा को सर्वव्यापी कैसे समझे ?
*उत्तर*: परमात्मा आकाश की तरह सर्वव्यापी है।आकाश वह है जो और वस्तुओं को आने की जगह दे। आकाश सर्वत्र है , हर वस्तु के बाहर भी और अंदर भी। लोहे में भी है, पत्थर में भी है, और हमारे शरीर में भी है। अगर लोहे के टुकड़ें को अग्नि में डाल दें तो अग्नि का गुण उष्णता और लाल रंग उसके अंदर समाहित हो जाता है। अगर लोहे में आकाश तत्व न होता तो अग्नि की उष्णता और अरुणता उसके अंदर प्रवेश न करती।अगर इस लोहे के टुकड़े के को हज़ार या असंख्य सूक्ष्म टुकड़े कर डालो तो भी आकाश तत्व उसके अंदर रहेगा। क्योकि आकाश अति सूक्ष्म है इसी कारण से व्यापक भी है।और यही आकाश आत्मा का शरीर कहा गया है। परमात्मा भी इसी आकाश की तरह सर्वव्यापी है।
हर वस्तु के अंदर भी और बाहर भी।
सन्दर्भ: याज्ञवल्क्य - मैत्रेयी संवाद।
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