🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरुप शून्यमिव समाधिः ||~~~योगदर्शन~विभूतिपाद~सूत्र~३~~~~~~~~~पद्यार्थ~~~~~~ध्यान का ध्यान नहीं रहता है, ज्ञेय (ध्येय)ध्यान में रहता है| समाधि स्वरूप को, ध्यान से भिन्न यह, सूत्र तीसरा कहता है| समाधि का पूर्ण स्वरूप जानकर, योग के साधन अपनावें, विमल विवेक वैराग्य की सीढ़ी, चढ़ मंजिल को पा जावें||👏
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