Wednesday, October 31, 2018

✍*अहोई अष्टमी पर*अहोई मतलब जो हुआ नहीं पर है अवश्य अर्थात जिसका जन्म नहीं होता वह अज परमात्मा ही...

*अहोई अष्टमी पर*

अहोई मतलब जो हुआ नहीं पर है अवश्य अर्थात जिसका जन्म नहीं होता वह अज परमात्मा ही अहोई है ऐसा जानना चाहिए,

हम सब उसकी संतान हैं

हमारी लालना पालना वह मातृवत पितृवत करता है इसलिए उसकी उपासना नैत्यिक और नैमित्तइक करनी ही

चाहिए। हो सकता है यह परम्परा जब बनी हो तब संतानें छोटी उम्र में मर जाती हों तो किसी ने कहा हो उस देव की उपासना करो जो कभी होता नहीं पर सबको बनाता है पालना करता है सबका रक्षक है।

उसकी उपासना कैसे हो तो उसकी वेदकथा

सुनकर शुद्ध ज्ञान कर ही हो सकती है शायद इसलिए ही कथा सुनने का विधान भी है वह अलग बात है कि आज विकृति विसंगति के चलते कथा का कोई सिर पैर नहीं। इसलिए आज के इस दिवस को उत्तम संतति कैसे बनाएं इस संकल्प अर्थात व्रत के साथ मनाना चाहिए जिसमें सामूहिक यज्ञ

का वृहद अनुष्ठान और संतति जनने वाली माताओं का संगतिकरण कर उत्तम शिक्षा लालन पालन हेतु,

और ऐसी जगह दान होना चाहिए जिनके बच्चे भूख से पीड़ित हों गरीबी की मार झेल रहे हों। अर्थात

यज्ञ - देवपूजा संगतिकरन और दान द्वारा।

इस तरह ही सभी सुखों की प्राप्ति कर सकते हैं समाज में आई हुई विकृतियों का रूप बदलें संस्कृति का स्वरूप नहीं।

हर पर्व उत्सव व्रत त्यौहार सब यज्ञों की विस्तृत धुआं से महकें तभी परम्पराओं की सार्थकता।

-विमलेश बंसल आर्या

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