Wednesday, December 9, 2015

२४ मार्गशीर्ष 9 दिसम्बर 2015 😶 “ आहुति स्वीकार करो ! ” 🌞 🔥🔥 ओ३म् स त्वं...

२४ मार्गशीर्ष 9 दिसम्बर 2015

😶 “ आहुति स्वीकार करो ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् स त्वं नो अग्नेवमो भवोती नेदिष्ठो अस्या उषसो व्युष्टौ । 🔥🔥
🍃🍂 अव यक्ष्व नो वरुणं रराणो वीहि मृळीकं सुहवो न एधि ।। 🍂🍃

ऋक्० ४ । १ । ५ ; यजु० २१ । ४

ऋषि:- वामदेव: ।। देवता- अग्नि: ।। छन्द:-त्रिष्टुप् ।।

शब्दार्थ- हे अग्ने!
वह प्रसिद्ध तुम हमारे लिए अपने रक्षण के साथ नीचे उतरे हुए, नज़दीकी हो जाओ, इस उषा के उदयकाल में, नवप्रकाश-प्राप्ति के समय में हमारे अत्यन्त निकट हो जाओ। प्रसन्न, रममाण होते हुए हमारे वरुण-पाश को, पाश-बन्धन को यजन द्वारा काट दो, नष्ट कर दो।(हमारी इस) सुखदायक हवि को स्वीकार करो, हमारे लिए सुगमता से, बुलाने योग्य हो जाओ।

विनय:- हे अग्ने!
हम तुम्हें पुकार रहे हैं। आज हम तुम्हें अपने पाप-बन्धन से छुटकारा पाने के लिए पुकार रहे हैं। तुम अपनी रक्षा के साथ आओ। हमारे रक्षक बनो।तुम बेशक सब प्रकार से ‘परम’ हो, परन्तु हमारी रक्षा के लिए 'अवम’ हो जाओ, नीचे उत्तर आओ- हमें अपनी निकटता का अनुभव कराओ। हम पतितों की रक्षा के लिए तुम्हारा अवम होना ज़रूरी है। यह देखो, उषा का उदय हो रहा है, एक नये दिन का प्रारम्भ हो रहा है, हमारे लिए एक नवीन प्रकाश के पाने का समय आ रहा है। इस शुभ प्रभात में तो, हे अग्ने! तुम हमारे निकटतम हो जाओ, आकर हमें अपनाओ। आज हम अपने पवित्र आत्मबलिदान की भेंट हाथ में लेकर तुम्हें पुकार रहे हैं। क्या हमारे इस सुन्दर महान् बलिदान से भी तुम प्रसन्न न होओगे? हमारी इस सुखदायी आत्माहुति को तो, हे अग्ने! तुम अवश्य स्वीकार करो। अब तो प्रसन्न होओ और रममाण होते हुए आज तो हमारे इस पापबन्धन को काट गिराओ और इस प्रकार हमारे यजन को सफल कर दो। पुकारते-पुकारते बहुत समय हो गया है। अब तो, हे अग्ने! तुम हमारे लिए सुगमता से बुलाने योग्य हो जाओ, हमारी पुकार पर आ-जानेवाले हो जाओ। आओ, हे अग्ने! आओ, यह आहुति स्वीकार कर हमारा बन्धन छुड़ाओ।

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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा
रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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