पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक
(वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड)
दिनांक : ०१/१२/२०१५
- किसी राग-द्वेष तब तक है, जब तक वह (सामनेवाला) शरीर से सम्बद्ध है। शरीर नाशवान है और ईश्वर प्रदत्त साधन के रूप में ईश्वर की सम्पत्ति है। मन बुद्धि, आदि भी इस प्रकार के साधन हैं। सामनेवाला अपने सदृश ही जीव है। सीधा उससे अपना कोई सम्बन्ध नहीं है तो क्यों इतना राग-द्वेष करना।
वानप्रस्थ साधक आश्रम
आर्यवन, रोजड
पो.-सागपुर, जिला - साबरकांठा
गुजरात, पिन - ३८३ ३०७
दूरभाष ९१-०२७७०-२८७४१७, २९१५५५, ९४२७०५९५५0
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