Friday, December 4, 2015

पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक (वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड)  दिनांक : ०१/१२/२०१५ - किसी...

पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक

(वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड) 

दिनांक : ०१/१२/२०१५

- किसी राग-द्वेष तब तक है, जब तक वह (सामनेवाला) शरीर से सम्बद्ध है। शरीर नाशवान है और ईश्वर प्रदत्त साधन के रूप में ईश्वर की सम्पत्ति है। मन बुद्धि, आदि भी इस प्रकार के साधन हैं। सामनेवाला अपने सदृश ही जीव है। सीधा उससे अपना कोई सम्बन्ध नहीं है तो क्यों इतना राग-द्वेष करना।

 


वानप्रस्थ साधक आश्रम 
आर्यवन, रोजड
पो.-सागपुर, जिला - साबरकांठा
गुजरात, पिन - ३८३ ३०७
दूरभाष ९१-०२७७०-२८७४१७, २९१५५५, ९४२७०५९५५0

अन्तर्जाल पर जानकारी हेतु http://ift.tt/1QZldGj

पूज्य स्वामी सत्यपति जी के प्रवचन सुनने हेतु क्लीक करे |

आचार्य ज्ञानेश्वेर जी के प्रेरक प्रवचन सुनने हेतु क्लीक करे |


from Tumblr http://ift.tt/1SDaXBh
via IFTTT

No comments:

Post a Comment