स्तुता मया वरदा वेदमाता : डॉ धर्मवीर
सध्रीचीनान्वः संमनसस्कृणोयेकश्नुष्टीन्त्संवनेन सर्वान्।
एक परिवार एक साथ सुखपूर्वक कैसे रह सकता है, यह इस सूक्त का केन्द्रीय विचार है। सामनस्य सूक्त का यह अन्तिम मन्त्र है। इस मन्त्र में परिवार को एक साथ सौमनस्यपूर्वक रहने के लिये उसको धार्मिक होने की प्रेरणा दी गई है।
परिवार को सुखी और साथ रखने के लिये परिवार के सदस्यों का धार्मिक होना आवश्यक है। परिवार के सदस्य धार्मिक हैं, तो उनमें शान्ति और सहनशीलता का गुण होगा। धार्मिक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से उदार और सहनशील होता है।
मनुष्य को स्वार्थ, अन्याय से दूर रहने के लिये धार्मिक होना चाहिए। धार्मिक व्यक्ति परोपकार करने में प्रवृत्त होता है। जिस परिवार के सदस्य धार्मिक आचरण और परोपकार की भावना वाले होते हैं, वही परिवार सुखी और संगठित रह सकता है।
सम्पूर्ण लेख पढने के लिए नीच दी हुयी लिंक पर क्लिक करें :
पण्डित लेखराम वैदिक मिशन
from Tumblr http://ift.tt/21S67GD
via IFTTT
No comments:
Post a Comment