आश्चर्यजनक, दुखद लेकिन सत्य
पुष्टिमार्ग के संस्थापक श्री वल्ल्भाचार्य जी के पूज्य पिताजी श्री लक्ष्मण भट्ट जी/दीक्षितजी के दो पत्नियां थीं, जिनमें से एक पत्नी यल्लामागारू, अपने पति के निधन के बाद सती हुई थीं ।
श्रीवल्ल्भदिग्विजयम् नामक पुस्तक में लिखा है कि :- “विद्यानगर के राजपुरोहित काश्यप गोत्री सुशर्मा जी की कन्या यल्लमागारू और इल्लमागारू के साथ आपका परिणयन हुआ।”
पूज्य वल्ल्भाचार्य जी का काल सन्न 1478-1530 है।
इसी पुस्तक के पृष्ठ 65 में लिखा है कि “और मकरार्क आने पर दीक्षित जी वैकुण्ठ को प्राप्त हुए। आपकी दूसरी पत्नी यल्लमा जी आपके ऊपर सती हुई।”
कितना आश्चर्य है की वेद के विद्वान् पति के पीछे एक विदुषी-पत्नी सती हुई ?
एक ही पत्नी सती क्यों हुई ? दोनों क्यों नहीं ?
या
कितना ही अच्छा होता यदि दोनों ही सती न होतीं ?
खैर जो भी हो लेकिन दुखद आश्चर्यजनक बात है |
संदर्भ प्रमाण- आधार साभार :- [[श्रीवल्ल्भदिग्विजयम्, (श्रीयदुनाथदिग्विजयनाम्ना प्रसिद्धम्), लेखक :- आदिषष्ठपीठाधीश्वराचार्य गोस्वामि-श्रीयदुनाथ-महाप्रभुणा प्रणीतम्, पृष्ठ 59-65, श्री वल्ल्भ पब्लिकेशन्स बड़ौदा-दिल्ली)
धन्यवाद
विदुषामनुचर
विश्वप्रिय वेदानुरागी
*(इस पोस्ट का उद्देश्य केवल जानकारी सांझा करना है, न की किसी व्यक्ति विशेष का अपमान करना है। )*
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