इतनी सीधी-सरल बात तो सभी समझ सकते हैं कि बच्चों का ज्ञान अनुभव आदि कम होता है। और उनके माता-पिता का ज्ञान अनुभव आदि बच्चों की तुलना में अधिक होता है। संसार में सबसे उत्तम वस्तु है ज्ञान। जिसका ज्ञान शुद्ध है और उसके अनुसार आचरण भी ठीक है , वही व्यक्ति संसार में सुखी हो सकता है ।
तो माता-पिता का ज्ञान बालक के ज्ञान से अधिक है , और यदि आचरण भी वैसा ही हो , तो बालकों को अपने माता-पिता का अनुसरण करना चाहिए।
जो बच्चे अपने माता-पिता के ज्ञान और आचरण को अपना लेते हैं, उनके निर्देश आदेश संदेश का पालन करते हैं , वे संसार में सुखी होते हैं और जीवन में बहुत अच्छा विकास करते हैं ।
जो बच्चे अपने माता पिता की बात नहीं मानते , वे सदा दुखी और परेशान रहते हैं , उनके जीवन का विकास ठीक नहीं होता। और बुढ़ापे में वे खूब पछताते हैं कि हमने अपने माता-पिता के अनुभवों का लाभ नहीं लिया। -स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।
from Tumblr https://ift.tt/2HyQUFX
via IFTTT
No comments:
Post a Comment