प्रायः लोग रुपया पैसा जायदाद मोटर गाड़ी आदि , को ही धन के रूप में मानते हैं । ठीक है यह भी धन है , हम इसका विरोध नहीं करते।
परंतु इन सबसे बढ़िया धन *चरित्र का धन* है। और वह चरित्र का धन प्राप्त होता है , ईश्वर की उपासना से भक्ति से। परमात्मा का ध्यान करें। उससे जो आपके मन की शुद्धता बनेगी और फिर ईश्वर आपके मन में और आपकी आत्मा में जो सेवा परोपकार दान दया ईमानदारी सच्चाई आदि आदि गुणों की संपत्ति भर देगा, वास्तव में वही असली संपत्ति है। इन सारी चीजों को मिलाकर के चरित्र कहलाता है । इसलिए परमात्मा का ध्यान करें , ओम् नाम से ध्यान करें, अर्थ सहित करें। परमात्मा से इन गुणों की प्राप्ति करें , अपना चरित्र उज्जवल बनाएं । यही संसार में सबसे बड़ा धन है । जिसके पास यह धन है वही संसार में सबसे अधिक सुखी है । - *स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।*
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