जब सूर्य उदय होता है तब करोड़ों व्यक्ति सो रहे होते हैं , तो भी सूर्य उनकी परवाह नहीं करता, कि लोग तो जागे नहीं, तो मैं उनके लिए सवेरा क्यों करूं ? फिर भी सूर्य अपना कार्य करता ही है ।
इसी प्रकार से आप देश धर्म समाज के लिए कार्य करते हैं , और देश धर्म समाज के लोग आपके कार्य का मूल्य नहीं समझते, उसको महत्व नहीं देते, आपके कार्य का सम्मान नहीं करते । तो इसका अर्थ यह नहीं है, कि आप अपना कार्य छोड़ देवें।
जैसे सूर्य अपना कार्य करता रहता है, कोई जागे या ना जागे, वह उदय होता ही है, और अपना प्रकाश फैलाता ही है । इसी प्रकार से कोई आपके कार्य का मूल्य समझे या न समझे, आप अपना कार्य करते रहें। हो सकता है, कि संसार के लोग आपके कार्य का मूल्य न समझें, परंतु ईश्वर तो अवश्य ही समझता है। समय आने पर ईश्वर तो अवश्य ही आपके कार्य का मूल्यांकन करेगा और निश्चित रूप से आपके उत्तम कर्मों का फल देगा। (सूर्य यद्यपि जड़ पदार्थ है वह सोचता नहीं है , फिर भी आलंकारिक रूप में हमने सूर्य का उदाहरण प्रस्तुत किया है) - *स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।*
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