जब विमान उड़ता है तो दुर्घटना का खतरा तो होता ही है । यदि किसी को जल्दी पहुंचना हो, समय बचाना हो और विमान की तकनीक का लाभ उठाना हो, तो उसे जोखिम तो लेना ही पड़ेगा ।
इसी प्रकार से जीवन में आपको किसी भी क्षेत्र में उन्नति करनी हो, आगे बढ़ना हो, तो वहां सफलता असफलता दोनों हो सकती हैं। इसलिए जोखिम तो लेना ही पड़ेगा।
विमान इस डर से आप न उड़ाएं कि कहीं दुर्घटना ना हो जाए, जमीन पर यह सुरक्षित है , तो उस विमान का कोई लाभ नहीं ।
ऐसे ही यदि आप किसी भी क्षेत्र में असफलता के भय से पुरुषार्थ ना करें, तो जीवन का कोई लाभ नहीं। जीवन इसीलिए ही तो है, कि जोखिम लिया जाए और उन्नति की जाए ।
हां इतना अवश्य ध्यान रखें, कि जोखिम सोच समझकर बुद्धिमत्ता पूर्वक लेना चाहिए , अंधाधुंध नहीं । अपनी क्षमता को देखकर जोखिम उठाना चाहिए । - *स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।*
from Tumblr https://ift.tt/2ylj5XM
via IFTTT
No comments:
Post a Comment