Wednesday, April 1, 2015

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है , सफर को ख़तम किये जा रहे हैं। क्यों जी रहे हैं कोई खबर ही नहीं है...

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है ,

सफर को ख़तम किये जा रहे हैं।

क्यों जी रहे हैं कोई खबर ही नहीं है ,

इरादों पे अपनी नजर ही नहीं है ।

ये साँस आ रहे लिए जा रहे हैं ,

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है। ।

कहाँ जा रहे हैं कहाँ है ठिकाना ,

कभी हम ने सोचा न समझा न जाना।

जो दिल में आया किये जा रहे हैं ,

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है। ।

शबों रोज चाहों चक्कर में फैंस कर ,

बेजाने गुनाहों की दल दल में फैंस कर।

नफ़रत के प्याले पिए जा रहे हैं ,

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है। ।

मुबारक उन्हीं को है जीना जहाँ में ,

खिले फूल बनकर जो इस गुलिस्ताँ में।

महक अपनी सबको दिए जा रहे हैं,

जिए जा रहे हैं जिए जा रहे है। ।

फटे दिल मुहब्बत के धागों से सी कर ,

अमर हो गए आंसूं दुनिया के पीकर ।

जो गम ले के खुशियाँ दिए जा रहे हैं ,

हकीकत में वो ही जिए जा रहे हैं ।।




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