आज का सुविचार (13 जून 2016, सोमवार, आषाढ़ शुक्ल ९)
मूर्तिपूजा से हानियां..(1)
साकार में मन स्थिर कभी नहीं हो सकता। क्योंकि उसको मन झट ग्रहण करके उसी के एकेक अवयव में घूमता और दूसरे में दौड़ जाता है। और निराकार परमात्मा के ग्रहण में यावत्सामर्थ्य मन अत्यन्त दौड़ता तो भी अन्त नहीं पाता। निरवयव होने से चंचल भी नहीं रहता, किन्तु उसी के गुण-कर्म-स्वभाव का विचार करता करता आनन्द में मग्न होकर स्थिर हो जाता है। (~महर्षि दयानन्द सरस्वती)
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