Thursday, June 30, 2016

हमारे अस्तित्व का आधार है राष्ट्र । वैदिक सभ्यता और उसको मानने वालों के निम्न लिखित आदर्श...

हमारे अस्तित्व का आधार है राष्ट्र ।
वैदिक सभ्यता और उसको मानने वालों के निम्न लिखित आदर्श है
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**!!******* राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि *******!!**
*!* मातृभाषा मातृभूमि व् माँ का कोई विकल्प नहीं *!*
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—-➡- मा नः स्तेन ईशतः —— यजुर्वेद 1।1
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भ्रष्ट व् चोर लोग हम पर शासन न करें
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*➡*!! वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम । - अथर्व० १२.१.६२
हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों । !!**
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.➡यतेमहि स्वराज्ये । - ऋ० ५.६६.६
हम स्वराज्य के लिए सदा यत्न करें ।
➡वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम । - अथर्व० १२.१.६२
हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों ।
➡धन्वना सर्वाः प्रदिशो जयेम । - यजु० २९.३९
हम धनुष अर्थात् युद्ध-सामग्री से सब दिशाओं पर विजय प्राप्त करें ।
➡सासह्याम पृतन्यतः । - ऋ० १.८.४
हमला करने वाले शत्रु को हम पीछे हटा देवें ।
➡माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः । - अथर्व० १२.१.१२
भूमि मेरी माता है और मैं उस मातृभूमि का पुत्र हूं ।

हेत्या हेतिरसि । - अथर्व० २.११.१
हे मनुष्य ! तू शस्त्रों का शस्त्र है ।
सत्येनोत्त्भिता भूमिः । - अथर्व० १४.१.१
भूमि सत्य से टिकी हुई है ।
उग्राः वः सन्तु बाहवः । - यजु० १७.४६
तुम्हारी बाहुएं सदा बडी बलवान् हों ।
देव त्वष्टर्वर्धय सर्वतातये । - अथर्व० ६.३.३
प्रभो ! हमें इतना समृद्ध कर कि सब कुछ पा लें ।
ब्रह्माहमन्तरं कृणवे । - अथर्व० ७.१००.१
मैं वेद को अपनी ढाल बनाता हूं ।
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➡**!! वयं तुभ्यं बलिहृतः स्याम । - अथर्व० १२.१.६२
हम सब मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले हों । !!**
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