*वेद वाणी*🌿🌿🌿🌿
*प्रातः जागने वाला प्रबुद्ध होता है ,उसे सब स्नेह करते है (ऋ० १/६५/५ )*
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*हे सोम ! तेरा सखा कभी दुखी नहीं होता (ऋ० १/९१ /८ )*
*अपने ज्ञान के प्रकाश से हमारे अज्ञान को नष्ट करो ( ऋ० १/९१/२२)*
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*प्रभु की संगति( उपासना ) से ह्मारी मति कल्याणी हो (ऋ० १/९४/१)*
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*दूर होकर भी वह बिजली की तरह समीप ही चमकता है ( ऋ० १/९४/७)*
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*सहनशील पुरुषार्थियो से द्वेषियो को प्रभु दूर कर देता है (ऋ० १/१००/३)*
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*विश्वनियन्ता इंद्र सदा हमारा ज्ञानदाता-उपदेशक होवे (ऋ० १/१००/१९)*
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*मन्त्र ही सर्वत्र गुरु है (वेद व् विवेक से सब निर्णय लें) (ऋ० १/१४७/४)*
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*वह ईश्वर एक है ,सचमुच एक है (अथर्व० १३/४/२०)*
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*हम सुने हुए वेदोपदेश के विरुद्ध आचरण न करे (अथर्व० १/१/४)*
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*दक्षिणा (सपत्रि दान )देने वाले मोक्ष सुख पाते है (ऋ० १/१२५/६)*
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*महान सौभाग्य के लिए पुरुषार्थ कर ( यजु० २७/२ )*
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*वाणी,धन और शरीर से परोपकार करो (ऋ० २/२/१)*
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*हम वैदिक मार्ग से पृथक न हो (ऋ० १०/५७/१)*
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*मेरे घर में पवित्र कमाई हो (अथर्व० ७/११५/४)*
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*दुष्कर्म करनेवाले सत्य के मार्ग को नहीं तर सकते ( ऋ० ९/७३/६)*
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*कंजूस पीछे रह जाते है,दानी आगे बड़ जाता है (ऋ० १०/११७/७)*
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*मित्र की सहायता न करने वाला मित्र नहीं होता (ऋ० १०/११७/४)*
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*हम श्रेष्ठ सामर्थ्य प्राप्त करे (६/४७/१२)*
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*सत्य का मार्ग बड़ा सुगम है ( ऋ० ८/३१/१३ )*
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*निरपराध की हत्या बडा भयंकर पाप है ( अथर्व० १०/१/२९ )*
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*इस संसार में उदासीन मन से मत रहो ( अथर्व० ८/१/९)*
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*पापी को दुःख ही मिलता है ( अथर्व० १०/१/५)*
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*संतान को मर्यादा में रहना सिखाओ ( अथर्व० ६/८१/२ )*
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*मै चोरी का माल ना खाऊ (अथर्व० १४/१/५७)*
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*मेरा ह्रदय संताप से रहित हो ( अथर्व० १६/३/६)*
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*मै इन्द्रियों का स्वामी बनूँ ( साम० १८३५ )*
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*हम विद्वानों का संग करे ( ऋ० ५/५१/१५ )*
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*मै जो कुछ बोलूँ मीठा बोलूँ ( अथर्व० १२/१/५८)*
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*हे शक्तिपुंज प्रभो! हम निडर बने ( ऋ० १/११/२)*
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*उस परमात्मा की मूर्ति नहीं है (यजु० ३२/३ )*
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*हे कर्मशील जीव ! तू ओउम का स्मरण कर (यजु० ४०/१५ )*
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*हे सर्वज्ञ प्रभो ! आप मेरे जीवन को पवित्र कीजिए ( यजु० १९/३९ )*
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*जुआ मत खेलो ( ऋ० १०/३४/१३)*
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*वेदी को सजाओ (ऋ० १/१७०/४)*
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*कर्म न करने वाला दस्यु है ( ऋ० १०/२२/८)*
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*मनुष्य बनो और दिव्य संतानों को जन्म दो (ऋ० १०/५३/६)*
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*मनुष्य उस परमात्मा को जानकार ही मोक्ष प्राप्त कर सकता है ( यजु० ३१/१८)*
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*अग्नि से अग्नि जलता है ( साम० ८४४ )*
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*समय रूपी घोडा दौड़ रहा है ( अथर्व० १९/५३/१)*
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*हे प्रभो ! मै तुझे कदापि न त्यागूँ ( अथर्व० १३/१/१२ )*
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*क्रोध मत करो (अथर्व० ११/२/२०)*
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*बुरा करने वाले का बुरा होता है ( अथर्व १०/१/५)*
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*हजार हाथो से कमा और सैकड़ो हाथो से दान कर ( अथर्व० ३/२४/५)*
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*पुत्र पिता का अनुवर्तन करने वाला हो (अथर्व ३/३०/२)*
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