Wednesday, April 1, 2015

मन ही सबका मूल है,मन ही मालिक है,मन ही कारण है! यदि आदमी के मन में दूषित विचार होते हैं तो उसकी वाणी...

मन ही सबका मूल है,मन ही मालिक है,मन ही कारण है!

यदि आदमी के मन में दूषित विचार होते हैं तो उसकी वाणी भी दूषित होती है,कार्य भी दूषित होते हैं, और पाप कर्म के परिणामसरुप दु:ख उस आदमी के पीछे-पीछे ऐसे हो लेता है जैसे कि गाडी के पहिए खीचने वाले बैल के पीछे-पीछे चलते है!

“मन ही सबका मूल है,मन ही शासन करता है,मन ही सफलता लाता है!

“यदि आदमी के मन में शुद्ध विचार होते हैं,तो उसकी वाणी शुद्ध होती है ,उसके कर्म शुद्ध होते हैं और उसके परिणामस्वरुप सुख आदमीके पीछे-पीछे ऐसे हो लेता है जैसे वस्तु या व्यक्ति का कभी साथ न छोडने वाली छाया!!




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