विद्या प्राप्ति एवं रुपान्तरण के चार उपाय :-
जन्म जन्म के कुसंस्कारों के कारण चित्त की भूमी बंजर सी हो जाती है जिस कारण उसमे ज्ञान के बीज उग नहीं पाते और न ही उसमें कोई परिवर्तन आ पाता है |परन्तु निम्न चार उपायों से इसे उपजाऊ बनाआ जा सकता है -
१.श्रवण-विद्वान धार्मिक वक्ता अथवा लेखक के वचनों को बहुत ध्यान से सुनना व पढना |
२.मनन- सुने व पढे हुए वचनों पर गहन चिन्तन करना |
३.निदिध्यासन-शंकाओं का निवारण कर एक निश्चय पर पहुंचना कि वक्ता अथवा लेखक की बात शत प्रतिशत उचित है या नहीं |
४.साक्षात्कार-यदि शतप्रतिशत उचित है तो उसे जीवन में धारण कर लेना |
बुराईओं को सुनना और उन्हें दूर करना बहादुरी है परन्तु बुराईओं को सुन न पाना कायरता है
जो धर्म तर्क को सहन न कर पाए वह मानो रेत के ढेर पर खडा है….
अष्टांगयोगनिष्ठ विक्रांत ॐ
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