अहोई
अहोई = अ+होई
अर्थात्
जो कभी हुई ही नहीं ।
अब जो कभी हुई ही नहीं उसे क्या मानना
मानो उसे जो हुई हो …………जैसे आदि-शंकराचार्य जी की माँ को मानें , महर्षि दयानन्द जी की माँ को मानें , भगतसिंह की माँ को मानें, सुभाषचन्द्र बोस से लेकर वीर सावरकर या शिवाजी या महाराणा प्रताप की माँ को मानें ………….क्यों की ये सब हुई थीं |
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आज अहोई अष्टमी है | आज महिलाएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं।
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मतलब चार दिन (चौथ/चतुर्थी) पहले पति की लम्बी आयु के लिए पूरा दिन भूखा रहो फिर अष्टमी के दिन सन्तान के लिए उपवास
इसे कहते हैं दोनों हाथों में लड्डू …….ओह्ह सॉरी ….दोनों कष्ट एक के ऊपर
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कृपया अन्धविश्वास से बचें ।
धन्यवाद
सादर
विदुषामनुचर
विश्वप्रिय वेदानुरागी
यदि किसी के पास अहोई माता जी का इतिहास (जन्म व मृत्यु, उनके कार्यों का विस्तृत प्रमाणिक वर्णन) हो तो बतायें | अग्रिम धन्यवाद
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