धर्मरक्षा के लिए सर्वाधिक जरूरत अगर किसी की है तो वह है *विवेक*
अर्थात , जो जैसा है उसे वैसा ही समझना और मानना , कल्पनाओं , कहानियों को सच मानकर उनके भरोसे रहने वाला मिट जाता है।
साईं बाबा एक जिहादी था, उसे जिहादी मानना ही *विवेक* है
मुसलमान , गैर मुसलमानों के शत्रु है , तो उन्हें ऐसा ही मानना *विवेक* है
मूर्ति जड़ होती है, ईश्वर चेतन होता है, मूर्ति को मूर्ति व ईश्वर को ईश्वर मानना *विवेक* है।
ईश्वर किसी की सहायता करने नही आता, धर्मरक्षा करना मनुष्य का कर्तव्य है ऐसा मानना ही *विवेक* है
ईश्वर का ध्यान करने से ईश्वर अंतःकरण मे हमे प्रेरणा देता है , सद्बुद्धि देता है, कर्म हमे ही करना होगा, यह समझ जाना ही *विवेक* है।
गुरुकुलीय शिक्षा मे विवेक सिखाया जाता है , तभी राम, कृष्ण व चाणक्य जैसे वीरो का निर्माण होता है।
*हिन्दुओ , आओ गुरुकुल द्वारा आयोजित दो दिवीसीए सत्र करे*
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