कुछ तड़प-कुछ झड़प
ऋषि जीवन-विचार :- आर्य समाज के संगठन की तो गत कई वर्षों में बहुत हानि हुई है- इसमें कुछ भी संदेश नहीं है । कहीं भी चार छः व्यक्ति अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए मिलकर एक प्रांतीय सभा या नई सार्वदेशिक सभा बनाने की घोषणा करके विनाश लीला आरम्भ कर देते हैं ।
इसके विपरीत ऋषि मिशन के प्रेमियों ने करवट बदल कर समाज के लिए एक शुभ लक्षण का संकेत दिया है ।
वैदिक धर्म पर कही वार हो देश-विदेश के भाई बहन झट से परोपकारिणी सभा से संपर्क करके उत्तर देने की मांग करते हैं । सभा ने कभी किसी आर्य बंधुओं को निराश नहीं किया पिछले 15 20 वर्षों के परोपकारी के अंगो का अवलोकन करने से यह पता लग जाता है कि परोपकारी एक धर्म योद्धा के रूप में प्रत्येक वार-प्रहार का निरंतर उत्तर देता आ रहा है ।
क्रमशः….
प्रोफेसर -राजेन्द्र जी जिज्ञासु
पाक्षिक परोपकारी पत्रिका
मार्च प्रथम २०१६
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