Monday, December 22, 2014

(साभार उत्कृष्ट शंका समाधान = स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक, रोजड़वाले) शंका 52. - पंचांग-पत्रा,...

(साभार उत्कृष्ट शंका समाधान =

स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक,

रोजड़वाले)

शंका 52. - पंचांग-पत्रा, ज्योतिष

विद्या को मानने से क्या हानियॉं होती हैं?

क्या यह वेद अनुसार है?

समाधान- हस्तरेखा, भविष्यफल यह सब झूठ है।

हस्तरेखाओं में कुछ नहीं लिखा।

किसी का भविष्य इन रेखाओं में नहीं है।

भविष्य आपके पुरुषार्थ में है। देशभक्ति का एक

गीत याद है - ’नन्हें मुन्हें बच्चे तेरी ’मुट्ठी में

क्या है, मुट्ठी में है तकदीर हमारी’। ’मुट्ठी में’

का क्या मतलब? इन लकीरों से नहीं, हमारे

हाथ के पुरुषार्थ में है।

वेद कहता है - ’’कृतं मे दक्षिणे हस्ते, जयो मे

सव्य आहितः।’’ अर्थात् ’कर्म मेरेे दायें हाथ में

है, तो फल बायें हाथ में’। पर लोग आलसी हैं,

कर्म करना नहीं चाहते। वे केवल

लकीरों को देखते रहते हैं।

’’ऐ हाथ की लकीरों में किस्मत देखने

वालों किस्मत तो उनकी भी होती है,

जिनके हाथ नहीं होते।’’ जब हाथ ही नहीं,

तो लकीरें कहॉं है उनकी? पर

उनकी भी किस्मत होती हैं। किस्मत

तो हमारे पुरुषार्थ में है। इसलिए इन लकीरों में

कुछ नहीं रखा।

एक विमान दुर्घटना (प्लेन क्रैश) हुई, डेढ़

सौ आदमी मर गए। उनमें बच्चे भी थे, बूढ़े भी थे,

जवान भी थे। क्या सबकी हस्तरेखाएं एक

जैसी थीं? रेल दुर्घटना, ट्रक दुर्घटना ऐसी बहुत

दुर्घटनाएं रोज होती हैं। कितने ही लोग मरते

हैं। क्या सबकी हस्त रेखाएं एक जैसी होती हैं?

एक जैसी होनी चाहिए, पर एक

जैसी नहीं होती। इसलिए हस्तरेखा में

भविष्यफल कुछ नहीं लिखा।

लोग यह मानते हैं कि हमारे भविष्य में ऐसा-

ऐसा लिखा है, इतनी उम्र में यह

होगा इत्यादि। मान लीजिए-

किसी व्यक्ति के भविष्यफल में लिखा है

कि उसे चार मर्डर करने हैं। वो चार हत्याएं

करेगा, यह किसने लिखा? भविष्यफल

ज्योतिषी नहीं लिखता है।

ज्योतिषी तो भविष्य बताता है।

वो तो कहता है कि - ’’भविष्यफल भगवान ने

लिखा है, मैं तो बता रहा हूॅं

कि आपका भविष्य ऐसा लिखा है।’’

तो लिखने वाला भगवान है।

जब भगवान ने हमारी किस्मत में लिखा है

कि हमंे चार हत्याएं करनी हैं और हम उतनी-

उतनी उम्र में चार हत्या करेंगे तो हम

अपराधी तो नहीं हुए न? ईश्वर

की आज्ञा का पालन अपराध नहीं है। ईश्वर

ने लिखा है कि - तुम बत्तीस साल की उम्र में

चार मर्डर करोगे और हम कर डालंेगे तो हमने

कोई अपराध नहीं किया। क्या हमें सरकार

छोड़ देगी? नहीं न। इसलिए भविष्यफल झूठ है।

आपकी बुद्धि, आपके परिश्रम, आपके पुरुषार्थ,

आपकी ईमानदारी और आपके संस्कारों से

आपका भविष्य बनता है। अपने

संस्कारों को देखें, अच्छे विचार जगाएं, बुरे

विचारों को रोकें, अच्छे काम करें,

अच्छी भाषा बोलें, अच्छा चिंतन करें,

आपका भविष्य बहुत अच्छा बनेगा। कोई

हस्तरेखा और भविष्यफल देखने

की आवश्यकता नहीं है। इसलिए पंचांग-

पत्रा आदि भविष्यकथन, ये सब वेद विरु( हैं।

इसको मानने से व्यक्ति आलसी, निकम्मा,

पुरुषार्थहीन, दीन, दुःखी और दरिद्र

हो जाता है।




from Tumblr http://ift.tt/1GPO5JH

via IFTTT

No comments:

Post a Comment