Farhana Taj
भूमिया पूजन और नौ गजा पीर पर चादर चढ़ाने का रहस्य
कल से बहुत परेशान हूं, छोटी बेटी को छोटी माता निकल आई और उपर से बुखार भी चढ़ गया। डॉक्टर के पास दिखाकर आई तो पड़ोसन सुनीति आ गई, आते ही बोली जब माता निकलती है, हमारे यहां तो नौ गजा पीर पर चादर चढाते हैं और ठीक हो जाती है।
मैंने उससे पूछा ‘नौ गजा पीर तो हिन्दुस्तान में हजारों हैं, इसका मतलब नौ गजा कोई धार्मिक उपाधि हुई। वह बोली हां होती होगी, लेकिन क्या मुझे नहीं मालूम।’
‘परंतु मुझे मालूम है जानना चाहोगी?’ मैंने कहा।
‘बताओ?’
‘अच्छी बात है’, मैंने जो उसे बताया आपको भी बताती हूं।
किसी युग में भारत में एक पद होता था क्षेत्रपाल, जो किसानों से कृषि कर वसूलता था और राजा को देता था। बाद में मुस्लिम युग आया तो भूमि कर यानी लगान वसूलनेवाला क्षेत्रपाल से हो गया भूमिया और भूमिया के उपर भी एक अफसर होता था, जिसकी सुरक्षा नौ गज के घेरे में चलती थी, जैसे आजकल जेड श्रेणी की सुरक्षा होती है, ठीक वैसे ही। तवारीख ए निजामशाही में साफ-साफ लिखा है कि जब भूमिया किसी से कर वसूलने में असमर्थ होता तो वह किसान के घर में जवान बेटी को उठाकर ले जाता और उसे पहले अपने अफसर को पेश करता। सबके सामने जेड श्रेणी की सुरक्षा में उसका बलात्कार किया जाता, और जानते हो जेड श्रेणी की सुरक्षा में कोई कदम नहीं रखता था, जैसे आज नहीं रख सकते, इसलिए कुकर्म के वक्त उसके उपर एक चादर डाल दी जाती थी, फिर बाद में भूमिया उसे अपना शिकार बनाता था।
जमाना बदल गया और आज भूमिया और नौ गजा पीर को सबसे अधिक हिन्दू औरते पूजती हैं और उन पर आज भी चादर चढ़ाती हैं, इससे अच्छा तो वह चादर किसी गरीब को दे दो। बहनो आज देश आजाद है, गुलामी की पीड़ा और दर्द आज क्यों सहती हो और आज क्यों बलात्कारी पर चादर डालती हो। पीरो की कब्रो पर चादर चढानी बंद करो और याद करो कि ये कौन थे? तुम्हारे पूर्वजों के साथ अत्याचार करनेवाले और तुम इन्हें पूजते हो? क्यों…क्यों…क्यों…
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