“स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप ,
क्या पुण्य,
बस…
किसी का दिल न दुखे
अपने स्वार्थ के लिए,
बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।।”
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