कहती है की “उनसे इतनी लड़ाई
करो की दुनिया में केवल इस्लाम
ही बाकी रहे और ………….
धर्मनिरपेक्षता का असली अर्थ मुसलमान
जानते हैं - चुपचाप हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन
करते हैं और फिर भी “धर्मनिरपेक्ष “कहलाते हैं
-क्योंकि ये दूसरे धर्म को मानते ही नहीं हैं
इसलिए ये धर्मनिरपेक्ष हैं
जबकि सामन्यतया हिन्दू दूसरे
धर्मो का भी सम्मान करते हैं फिर
भी वो “साम्प्रदायिक” हैं अर्तार्थ
जो केवल अपने ही धर्म को मानता हैऔर दूसरे
धर्मो का मान नहीं करता है वो
” धर्मनिरपेक्ष “है जैसे मुसलमान और जो दूसरे
धर्मों का मान करता है वो साम्प्रदायिक
है-जैसे की हिन्दू
भारत में एक और परम्परा जो की कांग्रेस
की देन है वो इस प्रकार है -जिस दंगे में हिन्दू
ही मारे जाए या मुसलमान कम मारे जाएँ
उसको धर्मनिरपेक्षता कहते हैं और जिस दंगे में
मुसलमान ज्यादा मारे जाए और हिन्दू कम मरे
तो उसको साम्प्रदायिकता कहते हैं
कुछ सेकुलर हिन्दू जिनके राजनैतिक स्वार्थ
ज्यादा हैं -केवल और केवल हिन्दू धर्म
की मज़ाक उड़ाना -उसमे ना होते हुए
भी गलतिया निकालना -जैसे कार्य
को भी धर्मनिरपेक्षता के अंतर्गत लाते हैं -
मतलब ये इन लोगो के लिए हिन्दू धर्म और
हिंदुत्तव का विरोध
करना ही धर्मनिरपेक्षता है उनके अंदर
इतनी भी हिम्मत नहीं है की वो इस्लाम
या मुसलमानो की सच्चाई को सामने
ला सकें
हे सेकुलरी खुजली से ग्रस्त हिन्दुओंसमझो -
सविंधान में भी सेकुलर का अर्थ पंथ निरपेक्ष
है उस ही को मान
लो क्यों जबरदस्ती धर्मनिरपेक्षता को
सेकुलरिज़्म से जोड़ रहे हो।
दुनिया का एकमात्र धर्म इस्लाम है जिसमे
दूसरे धर्मो को कोई स्थान है ही नहीं। कुरान
कहती है की “उनसे इतनी लड़ाई
करो की दुनिया में केवल इस्लाम
ही बाकी रहे और तब तक लड़ते रहो जब तक
दुनिया से सब ही धर्मों का नामोनिशान
ना मिट जाए केवल अल्लाह का धर्म
बाकी रहे। अल्लाह सब देख रहा है “
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