जब श्री कृष्ण जी का रुक्मणि जी से विवाह हुआ तो श्री कृष्ण बोले - “रुक्मणि..तुम मुझसे क्या चाहती हो?” तो रुक्मणि जी बोलीं - “मैं बिल्कुल आपके ही जैसा एक पुत्र चाहती हूँ”
तो श्री कृष्ण ने कहा कि लगातार युद्धों पर रहने के कारण मुझे शक्तिसंचय करना आवश्यक होगा|
फिर श्री कृष्ण और देवी रुक्मणि ने बद्रिकाश्रम जाकर 12 वर्ष तक ताप और ब्रह्मचर्य का पालन किया और उसके पश्चात बिल्कुल श्री कृष्ण जैसे पुत्र को जन्म दिया, जिनका नाम ‘प्रद्युम्न’ था।
कहते हैं पिता-पुत्र की मुखाकृति और शरीर बिल्कुल एक जैसे थे इसलिए रुक्मणि जी को पहचानने में कठिनाई होने के उन्होंने कारण श्री कृष्ण के मुकुट में मोरपंख लगा दिया ताकि पहचान पायें…..
कृष्ण जी के विषय मे महर्षि दयानन्द कहते है कि -
” महाभारत में, श्री कृष्ण जी के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता वे आप्त पुरुष, महान विद्वान, सदाचारी, कुशल राजनीतिज्ञ , सर्वथा निष्कलंक थे। ऐसे कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का रमण करने वाला, कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि मिथ्या बाते कहना उनका अपमान करना है ” ।
। जय श्री कृष्ण।
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