तीन अनमोल वचन :-
1.धन का सदुपयोग :-
शास्त्रों में धन की तीन गतियाँ बताई गई हैं। पहली उपभोग, दूसरी उपयोग और तीसरी नाश। धन से जितना आप चाहो सुख के साधनों को अर्जित कर लो। बाकि बचे धन को सृजन कार्यों में, सद्कार्यों में, अच्छे कार्यों में लगाओ। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो समझ लेना फिर आपका धन नाश को प्राप्त होने वाला है।”धन का दुरूपयोग ही तो धन का नाश है और धन का अनुपयोग भी उसका नाश ही है। दुनियाँ आपको इसलिए याद नहीं करती कि आपके पास बड़ा धन है अपितु इसलिए याद करती है कि आपके पास बड़ा मन है और आप सिर्फ अर्जन नहीं करते आवश्यकता पड़ने पर विसर्जन भी करते हैं।धन के साथ एक बड़ा विरोधाभास और है कि जब-जब आप धन को संचित करने में लगे रहते हो तब-तब समाज में आपका मूल्य भी घटता जाता है। और जब-जब आपने इसे अच्छे कार्यों में लगाने का काम किया तब-तब समाज में आपको बहुत मूल्यवान समझा जाता है। अत: धन का संचय आपके मूल्य को घटा देता है और धन का सदुपयोग आपके मूल्य को बढ़ा देता है।
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2.सकारात्मक सोच :-
संसार की प्रत्येक वस्तु में दो पक्ष होते हैं एक सकारात्मक व दूसरा नकारात्मक। मनुष्य की सोच पर निर्भर होता है कि उसकी दृष्टि किस पक्ष को देख रही है। सकारात्मक सोच के माध्यम से व्यक्ति का विकास होता है और नकारात्मक सोच के कारण विनाश होता है|
सकारात्मक विचार प्रगति कराते हैं वहीं नकारात्मक विचार व्यक्ति को पाप की तरफ खींच ले जाते हैं। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास करता है उसका स्वयं पर भी विश्वास बढ़ जाता है।इसलिए मनुष्य को सदा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
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3.मन को प्रसन्न रखने के उपाय
१.मैत्री-सुखी जनों से मित्रता।
२.करुणा-दुखी जनों पर दया।
३.मुदिता-पुण्य आत्माओं से
मिलकर हर्षित होना।
४.उपेक्षा-दुष्ट आत्माओं से न
प्रीति न वैर रखना।
——डॉ मुमुक्षु आर्य
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