आज का सुविचार (6 अप्रैल 2016, बुधवार, चैत्र कृष्ण १४)
जैसा ईश्वर पवित्र, सर्वविद्यावित्, शुद्ध गुणकर्मस्वभाव, न्यायकारी, दयालु आदि गुणवाला है वैसे जिस पुस्तक में ईश्वर के गुण-कर्म-स्वभाव के अनुकूल कथन हो वह ईश्वरकृत, अन्य नहीं। और जिसमें सृष्टिक्रम, प्रत्यक्षादि प्रमाण, आप्तों के और पवित्रात्मा के व्यवहार से विरुद्ध कथन न हो वह ईश्वरोक्त। (~महर्षि दयानन्द सरस्वती)
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