शिवलिंग की पूजा को महिमामंडित करने के लिये जो किस्से कहानियां पुराणों में लिखी हैं वे कोरी कल्पनाऐं हैं | समाज को मूर्तिपूजा ,पाषाण पूजा, प्रतीक पूजा आदि के गर्त में धकेलने वाली हैं | जो मूर्तियां अपनी रक्षा नहीं कर सकती वे अपने भक्तों की क्या रक्षा करेंगी ! आठ सौ साल की गुलामी के दौरान लाखों मूर्तियां मुगलों ने तोडी परन्तु कोई देवी देवता न अपनी रक्षा कर पाया और न अपने भक्तों का | आज भी जनता की गाढी कमाई का करोडों अरबों रुपया मूर्तियों की रक्षा करने में सरकार खर्च करती है …. अन्धभक्तों से वोट जो लेने हैं ! परमात्मा की पूजा का एकमात्र उपाय है..प्रतिदिन यज्ञ करना,योग करना और वेदों में वर्णित उसकी किसी आज्ञा का उलंघन न करना |
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