|१२| ऋषि सन्देश |१२|
“वह सत्य नहीं कहाता जो सत्य के स्थान में असत्य और असत्य के स्थान में सत्य का प्रकाश किया जाय | किन्तु जो पदार्थ जैसा है, उसको वैसा ही कहना, लिखना और मान्ना सत्य कहाता है ||”
—स्वामी दयानन्द सरस्वती (स•प्र•भूमिका)
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