मनुष्य का यह मनोविज्ञान है कि वह आँख से देखकर 80% बातें सीखता है और कान से सुनकर 20%.
तो आपको अपने माता-पिता के साथ व्यवहार करते हुए, आपके बच्चे आंख से देखते हैं । और वे उसमें से 80% बातें सीखते जाते हैं , कि हमारे माता पिता , हमारे दादा दादी के साथ क्या व्यवहार करते हैं?
यही घटना कुछ वर्षों के बाद आपके साथ होने वाली है । अर्थात जो आपने अपने माता-पिता के साथ किया , अच्छा या बुरा, जो भी । वही अब आपके बच्चे , आपके बुढ़ापे में आपके साथ करेंगे। क्योंकि उन्होंने आपको अपनी आंख से देखकर सीखा है, जो आपने अपने बडों के साथ किया ।
इसलिए यदि आप अपना बुढ़ापा सुरक्षित करना चाहते हैं , सुखदायक बनाना चाहते हैं , तो अच्छा यही होगा , कि अपने माता-पिता की ठीक प्रकार से सेवा करें । तब आपके बच्चे भी आपके बुढ़ापे में आपकी सेवा कर देंगे ।
अन्यथा जो स्थिति आप आज देख रहे हैं , उसे सब जानते हैं , उसकी व्याख्या करना की आवश्यकता नहीं है। - स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।
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