भारतीय परंपरा में करोड़ों व्यक्ति स्वर्ग प्राप्ति की इच्छा रखते हैं । परंतु वे जानते नहीं हैं कि स्वर्ग है क्या ?
“जैसे यहां अच्छे भोग फल मिठाइयां खाना पीना नाच गाना बैंड बाजा धन संपत्ति आदि पृथ्वी पर प्राप्त होती है, बस ऐसा ही स्वर्ग में होता है । और वह स्वर्ग कहीं आसमान है, जो कि मरने के बाद मिलता है ।” इस प्रकार से भारतीय लोगों की मान्यता है ।
यह मानता ठीक नहीं है। वेदो और ऋषियों के अनुसार , यह तो ठीक है कि स्वर्ग में सारे सुख मिलते हैं , और वे मरने के बाद मिलते हैं । परंतु वे सब सुख यहीं इसी पृथ्वी पर ही हैं , आपके हमारे घरों में ही मिलते हैं। आसमान में कोई ऐसा अलग स्थान नहीं है, जहां ऐसा स्वर्ग हो ।
और यदि वहां पर भी ऐसा ही राग रंग हो, तो जैसे लोग यहां भोग कर करके रोगी दुखी और परेशान हो जाते हैं , ऐसे ही उस आसमान वाले स्वर्ग में भी रोगी दुखी और परेशान हो जाएंगे । फिर यहां से उस स्वर्ग में क्या विशेष अंतर हुआ? कुछ नहीं ।
इसलिए स्वर्ग भी यहीं है , नरक भी यहीं है। सब कुछ यहीं है। हां , मोक्ष इन दोनों से अलग है, वहां कोई दुख नहीं होता , क्योंकि वहां भौतिक सुख दुख भोगने का साधन शरीर नहीं होता। ईश्वर की शक्तियों से ईश्वर का आनन्द भोगने को मिलता है। -स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।
from Tumblr https://ift.tt/2J3tWXN
via IFTTT
No comments:
Post a Comment