Thursday, March 29, 2018

संसार में प्रत्येक व्यक्ति की कोई न कोई समस्या होती ही है । और व्यक्ति प्रायः अपनी समस्याओं से...

संसार में प्रत्येक व्यक्ति की कोई न कोई समस्या होती ही है । और व्यक्ति प्रायः अपनी समस्याओं से परेशान रहता है । समाधान ढूंढने की कोशिश भी करता है , अनेक बार समाधान मिल भी जाते हैं। और जब व्यक्ति उस समाधान को स्वीकार कर लेता है तो उसकी समस्याएं हल हो जाती हैं। जीवन आसान हो जाता है, दुख दूर हो जाते हैं , सुख शांति बढ़ने लगती है ।

फिर भी उसे ऐसा लगता है कि कुछ समस्याएं रह गई हैं , जिनका समाधान उसे खोजने पर भी नहीं मिल पाया ।

वास्तव में समाधान तो मिलता है , परंतु अनेक बार ऐसा होता है व्यक्ति उस समाधान को स्वीकार करना नहीं चाहता । क्योंकि उसे स्वीकार करने में कष्ट होता है । वह अपने मिथ्या विचारों को , मिथ्या आग्रहों को , मिथ्या संस्कारों को छोड़ना नहीं चाहता।

इसका मूल कारण अविद्या है । तो जब तक अविद्या रहती है, व्यक्ति अपनी समस्याओं को नहीं सुलझा पाता । और सुलझ जाएं तो उन्हें स्वीकार नहीं करता । इसलिए वह दुखी रहता है ।

तो अपनी अविद्या से युद्ध करें । उसे दूर करें । सत्य समाधान को स्वीकार करें तथा जीवन को आनंद से जीएँ। - स्वामी विवेकानंद परिव्राजक।


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