आत्माएं सब अनादि हैं। सब की आयु एक समान है। शरीर की आयु के कारण हम किसी को छोटा बड़ा मान लेते हैं ।
परंतु एक जन्म में प्राप्त किए गुण , दूसरे जन्म में साथ चलते हैं । यदि कोई पिछले जन्म का 80 वर्ष का वृद्ध व्यक्ति अनेक गुण साथ लेकर मरा , तो इस जन्म में 10/15 वर्ष की आयु में उसमें वे गुण विशेष दिखाई देंगे ।
तब कोई सोचे कि मैं तो 40 वर्ष का हूं मैं इस 15 वर्ष के बच्चे से क्यों सीखूं? तो यह उसका सोचना गलत है ।
इस शरीर में वह बच्चा भले ही 15 वर्ष का है परंतु उसमें जो गुण हैं, वे तो उसने पिछले जन्म में 80 वर्ष की आयु तक सीखे थे। इसलिए आयु से कोई विशेष अंतर नहीं पड़ेगा, बल्कि गुणों से लाभ लेना चाहिए । गुण सीख कर अपनी उन्नति करनी चाहिए ।
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