चन्दन है इश की मीटी, तपोभूमि हर ग्राम है |
हर बाला देवी की प्रतिमा, बच्चा बच्चा राम है
हर शरीर मंदिर-सा पावन,हर मानव उपकारी है |
जहाँ सिंह बन गए खिलौने, गाय जहाँ माँ माँ प्यारी है |
जहाँ सवेरा शंख बजाता, लोरी गाती शाम है ||१||
जहाँ कर्म से भाग्य बदलता, श्रम-निष्ठा कल्याणी है|
त्याग और तपकी गाथा-गाती कवि की वाणी है|
ग्यान जहाँ गंगाजल-सा,निर्मल है,अविराम है ||२||
जिसके सैनिक समर-भूमि में,गाया करते गीता है,
जीवन का आदर्श जहाँ पर परमेश्वर का धाम है ||३||
चन्दन है इस देश की मीटी,तपोभूमि हर ग्राम है,
हर बाला देवी की प्रतिमा,बच्चा-बच्चा राम है||४||
अनुराग मिश्र”प्रधान”
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