सूर्य पर जीवन का सिद्धांत
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1. “एक भूमि के पास एक चन्द्र और
अनेक चन्द्र, अनेक भूमियो के मध्य में एक सूर्य रहता है।“
देखिये यहाँ पर महर्षि दयानंद ने स्पष्ट रूप से सौर मंडल का चित्रण किया है।
और एक नहीं अनेक सौर मंडलों का वर्णन किया है।
जबकि अन्य किसी भी धर्म/ सम्प्रदाय की पुस्तक में अन्य सौर मंडलों की तो छोड़िये
सूर्य के अतिरिक्त अन्य किसी सूर्य की कल्पना भी नहीं की गयी है।
2. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चन्द्र, नक्षत्र और सूर्य इनका नाम वसु इसलिए है क्योंकि इन्ही में सब पदार्थ और प्रजा वसती है और ये ही सबको वसाते हैं।
इन वसुओ में ही सब पदार्थ और प्रजा वसती है। इनके अतिरिक्त किसी स्थान पर नहीं।
इन्ही सब पदार्थो से प्रजा (प्रकृति और जीव का सम्मिलन) उत्पन्न होते हैं।
3. जब पृथ्वी के समान सूर्य चन्द्र और नक्षत्र हैं, पश्चात् उनमे इसी प्रकार (मनुष्य आदि) प्रजा के होने में क्या सन्देह ?
इस बात को समझने के लिए एक उदहारण लेते हैं।
एशिया आदि महाद्वीपों में हाथी आदि जंगली जीव बसते हैं
इसका अभिप्राय यह नहीं कि पुरे एशिया में हाथी बसते हैं। इसका अभिप्राय यह भी नहीं कि सभी महाद्वीपों में हाथी बसते हैं।
ईरान, अफगानिस्तान, रूस आदि में हाथी नहीं पाए जाते। अमरीका, यूरोप आदि में भी नहीं पाए जाते। परन्तु अन्य जंगली जीव बसते हैं।
उसी प्रकार विभिन्न वसुओं पर विभिन्न योनि के जीव बसते हैं।
4. यहाँ पर यह प्रश्न उठता है
कि सूर्य पर 5500 डिग्री से अधिक तापमान है तो वहां प्रजा कैसे हो सकती है।
उत्तर : यह कोई आवश्यक नहीं कि सूर्य, मंगल, बृहस्पति, टाइटन आदि वसुओ पर पृथ्वी के स्वरूप में ही प्रजा हो।
बहुत संभव है कि विभिन्न पाप-पुण्य कर्मो स्तर वाले जीवो को वहां पर भोगने हेतु जन्म मिलता हो।
जैसे महासागरो में हाथी तो जन्म नहीं मिलता और वन में व्हेल मछली को नहीं ।
5. पृथ्वी के महासागरो में कई किलोमीटर नीचे रंगहीन जंतु पाए गए हैं।
उनको देखे जाने से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था
कि बिना हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता के भी जीवन संभव है।
जब मनुष्य सूर्य आदि पर पहुँचने का सामर्थ्य हासिल कर लेगा तो अवश्य ही उन जन्तुओ को देख पायेगा।
अभी तक तो पृथ्वी के ही 97% महासागरो का ही अन्वेषण बाकि है।
हाल ही में विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक संस्था नासा के वैज्ञानिकों ने सूर्य पर जीवन होने के सिद्धांत को स्वीकार किया है और अरबों डालर खर्च करके इस सिद्धांत पर शोध हो रहा है।
http://www.theonion.com/article/scientists-theorize-sun-could-support-fire-based-l-34559
http://science.nasa.gov/science-news/science-at-nasa/2008/07nov_signsoflife/
जबकि महर्षि दयानंद ने लगभग 150 वर्ष पहले इस सिद्धांत को प्रस्तुत कर दिया था।
Scientists Theorize Sun Could Support Fire-Based Life
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