नमस्ते जी
*द्रव्यगुणयो: सजातीयारम्भकत्वं साधर्म्यम्*
*द्रव्याणि द्रव्यान्तरभारभन्ते गुणाश्च गुणान्तरम्*
*द्रव्यणांम् द्रव्यं कार्य समान्यम्*
उपरोक्त सूत्रों से सिद्ध होता है, की ब्रह्माकुमारी वाले वाक छल का केवल प्रयोग करतें है।
सिद्धान्त के अनुरूप तो कार्य होगा ही।
अर्थात रज - वीर्य किसी भी जाति को उत्पन्न करने में समवायिकारण है, अर्थात द्रव्य से द्रव्य उत्पन्न होगा और जो द्रव्य का समवायिकारण अन्य द्रव्य के समवायिकारण के *संयोग* से अर्थात असमवायिकारण से अपने सजातीय को उतपन्न करेंगे जिस में निमित्तकारणस्त्रीलिङ्ग और पुंलिङ्ग रहेंगे।
कोई भी एक समवायिकारण द्रव्य से कार्यद्रव्य की उत्पत्ति नही होगी। अर्थात अनेक ( दो व दो से अधिक ) कारणद्रव्यों से एक कार्यद्रव्य कि उत्पत्ति होगी।
और अन्त्यावयवी कार्यद्रव्य से भी अन्य कोई कार्यद्रव्य की उत्पत्ति नही होती यह सार्वभौमिक सिद्धान्त है।
अतः किसी भी कार्यद्रव्य की उत्पत्ति में समवायिकारण के आधार पर ही होता है।
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